मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

"सवेरे सवेरे"

तुम हो  ख़ुश्बू ,
एक प्याली चाय  की ,
सवेरे सवेरे |
तुम लगो संगीत ,
कोयल की कूक सी ,
सवेरे सवेरे |
तुम हो एक एहसास ,
मखमली धूप सी ,
सवेरे सवेरे |
जी तो करे ,
भर लूँ तुम्हे बाहों में ,
सवेरे सवेरे |
तुम्हारा लजाना यूँ ,
कह गया कहानी रात की ,
सवेरे सवेरे |

22 टिप्‍पणियां:

  1. तुम हो एक खुशबू ,
    एक प्याली चाय की ,
    सवेरे सवेरे |
    ... jiske bagair subah basi lagti hai

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  2. अहसास खुशनुमा अनूभुतियों का, सवेरे-सवेरे.

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  3. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों से सजी यह प्रस्‍तुति ।

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  4. सुबह जैसी ताज़ा पाँक्तियाँ। शुभप्रभातम।

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  5. कोमल भावों से सजी ..
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
    आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

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  6. तुम्हारा लजाना यूँ ,
    कह गया कहानी रात की ,
    सवेरे सवेरे .....

    तौबा .....!!

    खुदा को याद कीजिये जनाब सवेरे-सवेरे .....

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  7. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  8. बहुत ही अच्छा लगा पढ़कर सवेरे सवेरे

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  9. बहुत कुछ मिल गया सवेरे-सवेरे .....दिन तो बढ़िया बीतेगा ही

    मनभावन रचना

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  10. मैं शाम को पढ़ रहा हूँ इसे और सुबह को महसूस कर रहा हूँ ! उफ़ ये ऑफिस की तैयारी सबेरे सबेरे !

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  11. उनको देख कर लिखी गयी अभिव्यक्ति.
    बहुत ही सुन्दर.
    सलाम.

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  12. तुम्हारा लजाना यूँ ,
    कह गया कहानी रात की ,
    सवेरे सवेरे |
    अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई

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  13. अति सुन्दर बन पडी हैं ये पंक्तियाँ मित्र !

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