शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

एक वो रात।

 रातें रेशमी चादर सी होती हैं और तुम्हारी बातें सितारों सी । 

तुम बातें करती हो न तब मैं तुम्हारे लफ़्ज़ों को अपनी हथेलियों पर सहेजता रहता हूँ और तुम्हारे सो जाने के बाद एक एक कर उन लफ़्ज़ों को टांक देता हूँ , इस रेशमी चादर पे । 

फिर इन सितारों की झिलमिलाहट में बड़ी सुकून भरी नींद आ जाती है मुझे । 

बीती रात न बातें थीं न सितारे और न सुकून । उस रेशमी चादर का एक हिस्सा कोरा रह गया जो दिन के उजाले में एक अलिखित कहानी बयां कर रहा ।

1 टिप्पणी:

  1. बहुत खूब अमित जी! शायर और कवि मन का ये संवाद किसे बाग बाग ना कर दे!!!!!😃

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