रविवार, 16 अप्रैल 2023

सामीप्य

 "तुम्हारे पास आता हूँ तो साँसें भीग जाती हैं,

मुहब्बत इतनी मिलती है कि आँखें भीग जाती हैं,

तबस्सुम इत्र जैसा है हँसी बरसात जैसी है,

तुम जब भी बात करती हो तो बातें भीग जाती हैं"

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