काश !
बस यूँ ही ,
वो मुस्करा दें ,
मेहरबानी उनकी ।
पलकें उठा ,
मिला ले नज़र,
किस्मत हमारी ।
इतना हँसे कि,
गाल अवतल हो जाएँ ,
सुब्हान-अल्लाह ।
लब खोल दें ,
दो बोल बोल दें ,
ये जहां महक जाये ।
दो कदम ,
सफ़र ,
ज़िन्दगी के ,
इस 'दो' में ,
'एक' उनके हों ,
खुशनुमा सफ़र हो जाए ।
( 'अवतल गाल ' से अभिप्राय 'dimpled cheeks' का है ।
( 'अवतल गाल ' से अभिप्राय 'dimpled cheeks' का है ।
वाह जनाब वाह
जवाब देंहटाएंwaah .....chhote-chhote shabd .....badi -badi khwahishen.....aamin .....bahut accha likha hai .....
जवाब देंहटाएंbadhiyan panktiyan:
जवाब देंहटाएं"इतना हँसे कि,
गाल अवतल हो जाएँ "
Kavita acchi lagi.
-Abhijit (Reflections)
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर......
"आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो "....(निशा महाराणा जी.)
आपकी कलम से कविता ज़रा कम निकलती है...मगर जो निकली तो क्या खूब निकली...
अनु
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...सम्बन्ध में पूर्णता आ जाएगी तब
जवाब देंहटाएंवाह !!! बहुत बढ़िया,उम्दा प्रस्तुति !!!
जवाब देंहटाएंRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
बहुत ही प्यारी और अनोखी रचना :-)
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में पूरे एहसास ..क्या बात है .
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
क्या बात है है जी ......वाह जी बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .....
जवाब देंहटाएंभौतिकी का प्रैक्टिकल पास कर लिये। बधाई!
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