वरण किया था ,
तभी मृत्यु का ,
कैद हुआ था ,
जब परदेस ।
हाँ ! याद आया ,
और बहुत याद आया ,
तेरा साया कभी ,
कभी बच्चों का साया ।
ख्वाहिश ज़िन्दगी ,
तो न थी कभी ,
हाँ थी जरूर ,
बस इतनी ।
जान जाने से पहले ,
हो जाए दीदार,
अपनों का ,
और अपने वतन का ।
मिलूँ जब भी माटी में ,
माटी हो बस ,
तो हो ,
अपने वतन की ,
दुश्मनों ने यह भी ,
पूरा न होने दिया ,
जानता है अब ,
उनका वह खुदा भी ,
मौत ने मेरी ,
कर दिया ,
उस पाक को ,
भी नापाक ।
"विनम्र श्रद्धांजलि "
विनम्र श्रद्धांजलि|
जवाब देंहटाएंइस से अधिक हम कहें भी तो क्या ... और किस आधार पर ???
:-(
जवाब देंहटाएंसबका अपना कानून.....
अनु
नमन ...दुखद है जो हुआ ....
जवाब देंहटाएंदुखद घटना .... विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंबेहद अफ़सोस है,इश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें..आपकी रचना को नमन
जवाब देंहटाएंशहीद को नमन..कर्ज उतारना शेष रहा..
जवाब देंहटाएंउन्हें हमाना साश्रु नमन!
जवाब देंहटाएंअमितजी इस दुःख को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता ...दिल कसकता है उस इंसान के लिए ...उसके अपनों के लिए
जवाब देंहटाएंवह तो पहले भी नापाक ही था और रहेगा।
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखे हैं सर!
सादर
आज की ब्लॉग बुलेटिन तुम मानो न मानो ... सरबजीत शहीद हुआ है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही दुखद ,विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंlateast post मैं कौन हूँ ?
latest post परम्परा
marmik rachna amit ji ..
जवाब देंहटाएंआपकी यह श्रद्धांजलित प्रस्तुति ''निर्झर टाइम्स'' पर लिंक की गई है।
जवाब देंहटाएंhttp//:nirjhat-times.blogspot.com पर आपका स्वागत है।कृपया अवलोकन करें और सुझाव दें।
सादर
विनम्र श्रद्धांजलि|बहुत ही मार्मिक भाव.
जवाब देंहटाएंबहुत दुख हुआ....श्रद़धांजलि
जवाब देंहटाएंमौत ने मेरी ,
जवाब देंहटाएंकर दिया ,
उस पाक को ,
भी नापाक ।
हृदयस्पर्शी भाव ....बहुत गहन अभिव्यक्ति ...!!विनम्र श्रद्धांजलि ...!!
दुखद!
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