कबहुँ आप हँसे ,
कबहुँ नैन हँसे ,
कबहुँ नैन के बीच ,
हँसे कजरा ।
कबहुँ टिकुली सजै ,
कबहुँ बेनी सजै ,
कबहुँ बेनी के बीच ,
सजै गजरा ।
कबहुँ चहक उठै ,
कबहुँ महक उठै ,
लगै खेलत जैसे,
बिजुरी औ बदरा ।
कबहुँ कसम धरें ,
कबहुँ कसम धरावै ,
कबहूँ रूठें तौ ,
कहुं लागै न जियरा ।
उन्है निहार निहार ,
हम निढाल भएन ,
अब केहि विधि ,.
प्यार जताऊं सबरा ।
कबहुं पोस्ट लिखौ,
जवाब देंहटाएंकबहुं फ़ोटो लगाओ,
कबहुं उठाओ नखरा।
कबहुं सुघड़ बताओ,
कबहुं नीक बताओ,
कबहुं उठाओ नखरा।
बस यही राह चलौ,
कछु न मन में धरौ
जताओ प्यार सबरा।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
हटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-04-2013) के "साहित्य दर्पण " (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
kavita tazi deshaj gandh samete hai,photo jaise chir parichit!
जवाब देंहटाएंउन्है निहार निहार ,
जवाब देंहटाएंहम निढाल भएन ,
अब केहि विधि ,.
प्यार जताऊं सबरा ।
..बहुत सुन्दर...
:) :)
जवाब देंहटाएंदुविधा तो है :) वैसे अनूप जी सब कह दिए हैं ....
जवाब देंहटाएं:):) सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबड़ी मुश्किल है!
जवाब देंहटाएंमोक्ष मिले, जब उत्तर पाऊँ..
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जवाब देंहटाएंकल दिनांक 14/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
:-)
जवाब देंहटाएंबड़ा संकट है ये तो....
अनु
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंhttp://voice-brijesh.blogspot.com
हा हा हा ...बहुत मजा आया पढने में ....नटखट सी रचना ...
जवाब देंहटाएंकबहुँ चहक उठै ,
जवाब देंहटाएंकबहुँ महक उठै ,
लगै खेलत जैसे,
बिजुरी औ बदरा..
बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति!!!
पधारें "आँसुओं के मोती"
कैसे कहें...अब इतनी मन चुराती बातों के बीच दिल की बात ही कहना रह जाती है...औऱ कभी कभी हम टापते रह जाते हैं और ..... और.....बस और रह जाता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
शानदार!!!
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
क्या बात है दोस्त भाषिक (आंचलिक )सौन्दर्य सौष्ठव का शिखर है यह रचना .
जवाब देंहटाएंbilkul alag andaaz..behtreen abhivaykti...
जवाब देंहटाएंसमस्या तो है :)
जवाब देंहटाएंहमारे पास तो सिर्फ सहानुभूति है, वही देकर जा रहे हैं :)
bahut hi pyari kavita aur is bhasha ne is kavita ke saundrya ko char chand laga diye :-)
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