जीवन ,मृत्यु , निर्माण , विध्वंस ,जय , पराजय , मिलना , बिछुड़ना ,यह सब ऐसी घटनाएं है जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में घटित होती । इन होने वाली घटनाओं के क्रम को हम अपने सुचारू जीवन के हँसते खेलते भविष्य के अनुसार तय कर लेते हैं । तय क्रमानुसार घटनाएं घटित होती रहती हैं तब हम ईश्वर को विस्मृत कर स्वयं को ही इस संसार का सबसे बड़ा कर्त्ता और नियंता समझ बैठते हैं । जैसे ही घटनाएं अपना क्रम बदल लेती हैं , हमारा भ्रम टूट जाता है और क्षण भर में हम धराशायी और किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं ।
कल शाम शिवम जी ने पाबला साब के पुत्र के निधन की सूचना जब फोन पर दी , मैं स्तब्ध रह गया । अभी 26/27 अगस्त की बात है ,जब पाबला साब मेरे घर पर थे और कितना आनंदित हुए थे हम लोग उनके सानिध्य में ,उनके जिंदादिल और खुशदिल व्यवहार से । बातों बातों में ही मजाक में मैंने कहा था कि अब आपके बेटे की शादी में आपके घर आऊंगा , आप बुलाओ चाहे न बुलाओ । उन्होंने कुछ तस्वीरे भी दिखाई थी मुझे अपने बच्चों की , मेरे ही सिस्टम पर । उन्हें जब मैं स्टेशन छोड़ने गया था , चलते समय अत्यंत भावुक हो गए थे वह । उसके बाद से मेरी उनसे फोन पर भी अनेक बार बात हुई ।
कल यह सूचना मिलने के बाद उनसे फोन पर बात करने का साहस नहीं कर पा रहा हूँ । मेरे फेसबुक पर कवर फोटो में उनके साथ हम लोगों की तस्वीर लगी है । उसमें उन्हें हंसता देख कर उनके इस दुःख की कल्पना मात्र से ही सिहरन सी हो रही है । कैसे वह इस भयंकर दुःख को बर्दाश्त कर पायेंगे ।
घटनाएं तो सभी घटित होना तय होती हैं । ईश्वर से प्रार्थना है कि बस उनका क्रम ऐसे न बिगड़ने दें कि जिससे मनुष्य व्यथित हो कर अपने ही जीवन के होने और न होने के बीच उलझ कर इस अमूल्य जीवन से ही विमुख हो जाए ।बस यहीं आकर हम लोगों की सोचने और तर्क करने की शक्ति समाप्त हो जाती है ।
अंत में बस परम पिता परमेश्वर से यही प्रार्थना है कि पाबला जी को और उनके परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें और उनके प्यारे से बेटे को अपने पास स्वर्ग में स्थान दें ।
ये बहुत ही दुखद समाचार है ...
जवाब देंहटाएंईश्वर पाबला जी को ये दुःख सहने की हिम्मत दे ...
बहुत दुखद और हृदयविदारक , इश्वर दुःख संतप्त परिवार को संबल दे इस दुःख को सहने को. .
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने आना जाना तो लगा ही रहेगा लेकिन हे ईश्वर इस क्रम को ऐसे ना बिगड़ने दे, दुनिया का सबसे बड़ा दुःख एक पिता के कन्धों पर बेटे की अर्थी!!! ऐसा अनर्थ क्यों किया???... उनके दुःख को कम नहीं किया जा सकता सिर्फ प्रार्थना करने के सिवा कुछ नहीं है हम सबके हाथ
जवाब देंहटाएंबहुत दुखद घटना .... पाबला जी को और उनके परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें और उनके बेटे की आत्मा को शांति ।
जवाब देंहटाएंईश्वर हम सबको निशब्द कर देता है, पाबलाजी को यह दुख सहन करने की शक्ति मिले।
जवाब देंहटाएंहृदयविदारक घटना है...ईश्वर ,पाबला जी और उनके परिवार को ये असहनीय दुख सहने की क्षमता प्रदान करे .
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
बहुत दुखद ... पाबला जी को और उनके परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें
जवाब देंहटाएंअत्यंत दुखद, हार्दिक संवेदनाएं.
जवाब देंहटाएंसचमुच दुखद है...
जवाब देंहटाएंमेरी आखों के आगे भी आपके घर की तस्वीरे ही घूम रही हैं...
कुछ कहना मुश्किल है..
बहुत बुरा लगा.
सादर
अनु
अमित जी ...हम सब भी उनके ही दुःख को सोच कर व्यथित हैं ...ईश्वर उन्हें इस दुःख से उबरने की ताकत दे ...
जवाब देंहटाएं:(:(
जवाब देंहटाएंअत्यंत दुखद
जवाब देंहटाएंbahut dukhad !!
जवाब देंहटाएंjindagi kab kya kar de....:(
जवाब देंहटाएंहाँ, जाना तो सबको है किन्तु यूँ अकाल जाना बहुत दुखद है.
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
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