शनिवार, 8 सितंबर 2012

" रेसिपी , एक अच्छी चाय की ......"


मैं बिस्तर से सवेरे उठने को ही था कि श्रीमती जी ने नींद में ही जम्हाई लेते हुए मुझसे कहा ," आज चाय आप बनाइये न प्लीज़ "| सच तो यह है कि किचेन के नाम पर मुझे बस वाटर प्योरीफायर से पानी लेना आता है |हाँ! पर ऐसा भी नहीं कि चाय न बना पाऊं | मैंने मन ही मन सोचा चलो आज चाय बना ही देते हैं | दो कप चाय बना कर बड़े  करीने से ट्रे में रख कर मैं उनके पास ले गया | पहली चुस्की लेते ही उनकी आँखों में रोशनी आ गई और चहकते हुए बोली ,"चाय तो आपने बहुत अच्छी बनाई है" | मुझे लगा ,कहीं ये फ्यूचर इन्वेस्टमेंट तो नहीं है इनका | फिर भी तारीफ़ सुनना अच्छा तो लगा | मैंने कहा , अरे मैंने तो यूँ ही बना दी , तुम्हे अच्छी लग रही है , क्योंकि तुम्हे बिस्तर पर ही बनी बनाई जो मिल गई | वे बोली ," अरे नहीं सच में अच्छी बनी है , मुझसे ऐसी नहीं बनती कभी | आप इसकी रेसिपी लिख दीजिये , मैं भी ऐसे ही बनाऊँगी  | मैंने सोचा, मैंने तो साधारण तरीके से बस एक चाय ही बनाई है, इन्हें इतनी अच्छी क्यों लग रही है | मनन करने पर अच्छी चाय की रेसिपी कुछ यूं नज़र आई :

1. अव्वल तो चाय मांगी जाय प्यार से और दुलार से।

2.बनाने वाला प्यार से बस उसी को मन में सोचते हुए चाय बनाए ।

3.चीनी डालते समय दिल में पीने वाले का ही ख्याल रहे तब मिठास सीधे उसके होंठों से होते हुए दिल तक पहुंचेगी ।

4.चाय की पत्ती डालने के बाद उबाल आने पर उसमें उन्हीं का अक्स देखने की कोशिश करें। सच मानिए आपको उसमें उनका अक्स नज़र आयेगा,अगर आपने चाय सच में उनके लिए प्यार से और दिल से बनाई है ।

5.चाय बनने के बाद बस प्यार भरी नज़रों से उनकी आँखों में आँखें डालकर चाय की प्याली थमा दीजिये फिर देखिये ,अब यह चाय अमृत जैसी ही लगेगी भले ही चाय में चीनी ,पत्ती ,और दूध कैसे और कितना डाला जाए ।

6.चाय का फ्लेवर flavonoid ( अक्षय कुमार वाला ) से नहीं feelings से आता है ।

" प्यार से कोई चाय बनाने को कहे तो फिर बनाने का मन तो करता ही है बस कहे तो एक बार प्यार से ।"

18 टिप्‍पणियां:

  1. १ से लेकर ६ नंबर तक ध्यान से मनन किया , और सोंचा कि क्या होगा अगर हम अप्लाई करें तो ...

    १ से लेकर छहों सूत्र , ३५ साला शादी के बाद बुरी तरह फेल :(

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  2. सच ही तो है जिस भी चीज़ में प्यार मिल जाये उसका ज़ायका खुद-बा-खुद बढ़ ही जाएगा... :-)इसलिए तो शायद हरे बड़े से बड़े होतले में खानसामा के नाम पर कोई पुरुष हो, मगर उसके घर में भी खाना उसकी माँ या पत्नी ही बनाती है क्यूंकि घर के खाने का स्वाद प्यार से भारा होता है दिखावे से नहीं...तो ज़हीर हैं जहां प्यार होगा वहाँ स्वाद का होना निश्चित है।

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  3. वाह अमितजी ...चाय वाकई बढ़िया बनी थी ...बननी ही थी .....

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  4. ये अपुष्ट खबर है , विश्वस्त सूत्र से पुष्टि अभी बाकि है .गज़ट होगा तब विश्वास होगा ,

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    1. अविश्वसनीयता की अफवाह मत फैलाइये | कभी आइये ,एक कप अच्छी सी चाय पिलाऊँगा आपको , वादा रहा |

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  5. रेसिपी इतनी अच्छी है तो चाय तो गजब बननी ही है...
    :-)

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  6. आपकी रेसिपी की पोस्ट आज ज़ोर से पढ़कर सुनाई जाएगी उन्हें भी.....

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  7. कल 15/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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