'रियर व्यू मिरर' एक २ गुणे ४ इंच का अदना सा आईना , बस कार की छत में अटका हुआ | कीमत उसकी बमुश्किल १०० / १५०रुपये | कार चाहे ५ लाख की हो , दस लाख की हो ,पचास लाख की हो या हो नैनो एक लाख की , बिना इस १५० रुपये के आइटम के कार चला पाना ना-मुमकिन | रियर व्यू मिरर का इस्तेमाल यह है कि इससे पता चलता है कि आपके पीछे कौन है , कितना बड़ा है , आगे जाना चाहता है या पीछे पीछे ही चलना चाहता है | कहीं आपका कोई पीछा तो नहीं कर रहा है | अकस्मात ब्रेक लगाने से पीछे वाला टकरा तो नहीं जाएगा | दायें या बाएं मुड़ने में पीछे वाला अवरोध तो नहीं बन रहा | पीछे क्या क्या और कौन कौन छूटा जा रहा है ,वह भी दिखता है रियर व्यू मिरर में | किसी को ओवरटेक कर जब आगे बढ़ते हैं तब पीछे हो जाने वाली गाड़ी के चालक के चेहरे के भाव भी दिख जाते हैं उसमें |
अर्थात गाड़ी चलाने में आपसे आगे कौन है , इससे अधिक यह महत्वपूर्ण है कि , आपके पीछे कौन है और इसमें मदद करता है एक अदना सा "रियर व्यू मिरर "|
अब यही बात ज़िंदगी की गाड़ी चलाने में भी लागू होती है | ज़िन्दगी की रेस में कौन आपके आगे है, उतना महत्वपूर्ण नहीं है, बजाये इसके कि आपसे पीछे कौन है | अधिकतर आगे बढ़ने से रोकने वाले आपके पीछे वाले ही होते हैं जो आपकी टांग खींचते हैं | आप इत्मीनान से अपनी ज़िंदगी की गाड़ी भले ही चला रहे हों अगर पीछे वाले ( अर्थात जो पहले कभी आपके जीवन में आ चुका हो ) का ध्यान नहीं रखेंगे ,तब वह कभी भी पीछे से आकर घातक दुर्घटना कर सकता है | अनेक घटनाओं और वृतांतों को हम पीछे छोड़ चुके होते हैं पर फिर भी वे वाकये अक्सर अचानक सामने आकर ज़िन्दगी में ऊथल पुथल मचा जाते हैं | अगर हम 'रियर व्यू मिरर' में उन्हें देखते रहें या उन पर नज़र रखते हुए उनका ध्यान रखें तब शायद ऐसी दुर्घटनाएं ना हों | पर अधिकतर ऐसा होता नहीं |
यह कहना कि दुनिया की परवाह मत करो बस आगे बढ़ते जाओ शायद तर्क संगत नहीं है | अगर ऐसा होता तब बिना 'रियर व्यू मिरर' के भी लोग कार चला लेते |
अक्सर कार चलाते समय रियर व्यू मिरर आपको तिरछा या अपने स्थान से घूमा हुआ भी मिल सकता है | ऐसा प्रायः तभी होता है जब आपके बराबर वाली सीट पर कोई खूबसूरत चेहरा विद्दमान होता है, क्योंकि उनके लिए तो 'रियर व्यू मिरर' एक आईना भर है और हर आईना तो बस वो आईना होता है जो उनके चेहरे की तारीफ़ करता रहे और लाली होंठों क़ी बिगड़ने न दे | ये कार का 'रियर व्यू मिरर' तो तिरछा करती ही हैं, अक्सर ज़िंदगी का 'रियर व्यू मिरर' भी घुमा सा देती हैं |
" उन सभी से क्षमा याचना सहित |"
शायद लोग इसी लिए इतिहास पढ़ते हैं, युग का रियर व्यू मिरर...
जवाब देंहटाएंबहुत ही दमदार दृष्टांत दिया है आपने, कुछ घटनायें, कुछ लोग, कुछ शब्द, जीवन भर आपका पीछा करते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सूझ-बूझ वाला लेख.....
जवाब देंहटाएंदुनियादारी के लिए एक गहन सोच. सच है कि पीछे वालों से ही बचना होता है कि क्या पता कब पीछे से वार कर दें, चाहे जिन्दगी हो या कार. और अगर पीछे कोई खूबसूरत चेहरा हो तो उसे ज़रा रुक कर साथ कर लें, ताकि दुर्घटना न हो और सफर का आनंद भी आए... चाहे जिन्दगी हो या कार. सुन्दर लेखन, बधाई.
जवाब देंहटाएंअपन तो रेयर व्यू मिरर देखते नहीं......
जवाब देंहटाएंएक बार देख रहे थे पीछे, तो सामने एक कार को ठोक दिया था.......
:-)
तब से जो पीछे छूटा सो छूटा.......
जो बीत गया सो बीत गया.............
अनु
अब आगे से पीछे नहीं देखना अनु ...
हटाएंक्या फलसफा है वाह ..शायद इसीलिए इतिहास जैसा विषय होता.अपने अतीत पर नजर रखना भी जरुरी है.
जवाब देंहटाएंवाह ....
जवाब देंहटाएंएक बढ़िया पोस्ट !
आपके तर्क से पूर्णत: सहमत...
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उम्दा लेखन, बेहतरीन अभिव्यक्ति
हिडिम्बा टेकरी
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ब्लॉ.ललित शर्मा
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spasht saaf ...hriday kii baat ...
जवाब देंहटाएंsundar aalekh .
तिरछा करने और घुमा देने में , हमें उनका प्यार ही दिखा। भाग्यशाली हैं आप।
जवाब देंहटाएंबढ़िया ...
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya aalekh hai..
जवाब देंहटाएंbahut behtarin...
:-)