अधूरा चित्र सा,
ही तो था मैं ,
कुछ उकेरा सा,
और कुछ धुंधला सा ,
वो तो ,
वो तो ,
उंगलियाँ थीं तुम्हारी,
जो जब छूती थीं ,
मुझको अक्सर,
मैं पूर्ण होने को,
हो जाता था तत्पर,
उस छुवन में रोमांच था,
और कुछ रोमांस भी,
धीरे धीरे,
चित्र मेरा होता गया ,
अलिखित से लिखित ,
अक्स मेरा जब ,
लिपटने लगा ,
तुम्हारे ही नाम से,
शरमा उठीं तुम और ,
लाल मेरे होंठ हो गए,
अब इतनी सी,
ख्वाहिश बस और है,
अपनी आँखों का नील,
भर दो मेरी आँखों में,
फिर थाम कर,
अपनी बाहों में,
कर दो मुझे मुक्त ,
इस कैनवस की दुनिया से |
प्रेम भरकर चित्र में कुछ, उसे अब तो मुक्त कर दो।
जवाब देंहटाएंइस रंग से ही पूर्ण हो जाता है हर केनवास का अधूरा चित्र और जीवंत हो उठता है .... सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंइस रंग से ही पूर्ण हो जाता है हर केनवास का अधूरा चित्र और जीवंत हो उठता है .... सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar prembhav
जवाब देंहटाएंme rangi rachana..
:-)
bahut sundar
जवाब देंहटाएंkhubsurat rangon se saji kavita
क्या रंग हैं..बहुत ही खूबसूरत.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खूब अन्दाज़ है
जवाब देंहटाएंएहसासों को अपने शब्द देकर जिवंत कर दिया आपने.....
जवाब देंहटाएंअधूरे चित्र में रंग भरे एहसासों के ...
जवाब देंहटाएंअलिखित से लिखित कविता तो हो ही गयी !
बहुत बढ़िया !
अपनी आँखों का नील,
जवाब देंहटाएंभर दो मेरी आँखों में,
फिर थाम कर,
अपनी बाहों में,
कर दो मुझे मुक्त ,
इस कैनवस की दुनिया से |
very touching lines...
.
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंवाह , जीवंत अहसासों के रंग
जवाब देंहटाएंफिर थाम कर,
जवाब देंहटाएंअपनी बाहों में,
कर दो मुझे मुक्त ,
इस कैनवस की दुनिया से |....अनुपम रंगों का एक खुबसूरत अहसास...्बहुत सुन्दर...अमित जी मेरे ब्लांग पर आने के लिए आभार...
बहुत खूबसूरत अहसास संजोती प्रस्तुति .....सुन्दर !
जवाब देंहटाएंवाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंक्या कहने साहब ... भाई वाह !
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - कहीं छुट्टियाँ ... छुट्टी न कर दें ... ज़रा गौर करें - ब्लॉग बुलेटिन
अपनी आँखों का नील,
जवाब देंहटाएंभर दो मेरी आँखों में,
फिर थाम कर,
अपनी बाहों में,
कर दो मुझे मुक्त ,
इस कैनवस की दुनिया से
कैनवास में प्यार के रंग भर उसे जीवंत कर दिया आपने
काफी सुंदर रचना
बधाई ... साभार !!
बहुत ख़ूबसूरत अहसास....बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंअद्भुत..अच्छी लगी..
जवाब देंहटाएंbahut alag tarah ka thought ..alikhit se likhit..." vichar bhi aur prastuti bhi ....वो तो ,
जवाब देंहटाएंउंगलियाँ थीं तुम्हारी,
जो जब छूती थीं ,
मुझको अक्सर,
मैं पूर्ण होने को,
हो जाता था तत्पर,
उस छुवन में रोमांच था,
और कुछ रोमांस भी, bahut khoobsurat :-)