ज़िप ने हमारा जीवन कितना सरल कर दिया है । अटैची में कूड़ा करकट की तरह सामान भर लो ,हल्का सा दबाओ,चारो और ज़िप पकड़ कर खींच लो ,सब अस्तता व्यस्तता अन्दर बंद । यही अगर ज़िप न होती तो किसी न किसी कोने से कोई दुपट्टा या रुमाल झांकता अवश्य रहता और दूसरों को आपके सामान की गुणवत्ता के आधार पर आपकी औकात आंकने का मौक़ा देता रहता ।
महिलाओं की तो ज़िप ने बल्ले बल्ले कर रखी है । पर्स का मुंह खोला उसमें ड्रेसिंग टेबल का सारा कचरा (सौन्दर्य प्रासधन ) हाथ से उठाकर नहीं बस बुहारते हुए सारा भर लिया ,पर्स बेचारा छोटा सा,पर चीखे कैसे , ऊपर से उस पर, कम से कम, एक अदद मोबाइल को लिटा दिया और खर्र से ज़िप बंद । अब वे कहीं भी जाएँ ,कितनी भी भीड़ हो ,कितना भी पर्स उलट पुलट जाए पर वह ज़िप अपने अंदरूनी सामानों पर आंच भी नहीं आने देगी ।
अब तो ऐसे बैग भी आते हैं देखने में छोटे से ,पर सामान अधिक है तो उसमे लगी ज़िप को उस बैग के चारो और घुमाते रहिये, बस बैग बड़ा होने लगता है। काश ! ऐसे ही कुदरत ने हम इंसानों के दिल पर एक ज़िप लगाईं होती जब दिल छोटा होता ,बस उसे थोड़ा चारों और घुमा लेते ,दिल बढ़ जाता । पर पता नहीं क्यों ,ज्यों ज्यों दुनिया सभी की बढती जा रही है ,दिल छोटे होते जा रहे है ।
जींस की तो बिना ज़िप के कल्पना ही संभव नहीं है । रैम्प शो हो या कोई भी फैशन शो हो उसमे अधिकतर डिज़ाईनर ड्रेस का प्रयोग होता है और उसमे भी ज़िप अवश्य ही प्रयुक्त होती है और जहाँ भी प्रयोग की जाती है वहां ज़िप के प्रारम्भ के एक दो दांत खुले छोड़ दिए जाते हैं । (देखने वाले की काल्पनिक क्षमता पर पूरा विश्वास जो होता है ,शो आर्गनाइज करने वालों को )।टी.आर.प़ी.बढाने का सीधा सा फंडा है "थोड़ी सी ज़िप खुली छोड़ दो " ।( इज्ज़त लुटी भी नहीं और सच माने तो बची भी नहीं )
ज़िप ने लगभग सभी बंद करने वाली जगहों पर अपना कब्जा जमा लिया है ।ज़िप का प्रयोग इतना सरल और सहज है कि अब बहुत अच्छी सड़कों पर कार चलाने को भी 'ज़िप ड्राइव' ही बोलते है ।
आने वाले दिनों में शादियों में वर वधू के कपड़ों में आपस में गाँठ नहीं बाँधी जायेगी बल्कि उन दोनों के कपड़ों में एक ही ज़िप के दो हिस्से अलग अलग लगे होंगे जो शादी के पहले अलग अलग होंगे और शादी की रस्म होने बाद दोनों को आपस में "ज़िप-अप" कर दिया जाएगा । शादी के बाद जब तक राज़ी ख़ुशी रहे तब तक रहे ,जब अलग होना हुआ ,ज़िप खोल दी और तलाक हो गया । उसके लिए किसी एक को बस एक शब्द बोलना होगा " ज़िप ऑफ "
आज ज़िप की इतनी चर्चा इस लिए हो गई क्योंकि आज ही के दिन (२४ अप्रैल १८८० ) को 'ज़िप' या 'जिपर' का आविष्कार करने वाले महान इलेक्ट्रिकल इंजीनियर Gideon Sundback का जन्म हुआ था । यह याद दिलाने और जानकारी देने का श्रेय "गूगल बाबा" को जाता है ।
(Gideon Sundback )
गिडिऑन साहब महान कार्य कर गये हैं।
जवाब देंहटाएंगिडिऑन साहब जो कर गए सो तो कर गए ..पर आप लगता है उसमें जरुर रेवोलुश्नरी इजाफा करेंगे :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया चिंतन कर डाला है ज़िप का.
बहुत खूब...इतने विस्तार से ज़िप की महिमा का वर्णन किया है...सबके सोच के बाहर की बात है....ज्यादातर लोग उपयोगी वस्तुओं (जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं) को प्रयोग में लाते तो जरूर हैं परंतु उनके रख-रखाव पर ध्यान नहीं देते लेकिन जब बुरी या अव्यवस्थित देख-रेख से उनकी सुविधाजनक जीवन में सुव्यवस्था में अड़चनें आने लगती हैं तब उनका ध्यान उस तरफ जाता है.....इसलिए अनुरोध है कि चाहे अटैची हो या पर्स,छोटे-बड़े बैग हों या पहनने वाले कपड़ों में लगी हुई जीपें...सभी हो ठीक से हैंडल करें...ये इज्ज़त बढ़ाती हैं तो कई बार इज़्जत उतार भी देती हैं......!
जवाब देंहटाएंअमित भाई...
इतना ज्ञानवर्धन का शुक्रिया.....आपके लेख का आभार प्रकट करती हूँ,जो मैं इतना लिख गयी....कहीं कोई त्रुटि हो तो माफी चाहूँगी....! ये मेरे अपने विचार हैं हो सकता है कि किसी से मेल न खाएं !
:-)
जवाब देंहटाएंयाने की रचना किसी भी विषय पर लिखी जा सकती है...वो भी इतनी रोचक.......बहुत बढ़िया अमित जी.
हर जगह ज़िप है............
काश होठों पे भी होती...जब किसी ने कड़वाहट उगली.........ZIP LOCK ...........
:-)
अनु
:-)
जवाब देंहटाएंयाने की रचना किसी भी विषय पर लिखी जा सकती है...वो भी इतनी रोचक.......बहुत बढ़िया अमित जी.
हर जगह ज़िप है............
काश होठों पे भी होती...जब किसी ने कड़वाहट उगली.........ZIP LOCK ...........
:-)
अनु
:-)
जवाब देंहटाएंयाने की रचना किसी भी विषय पर लिखी जा सकती है...वो भी इतनी रोचक.......बहुत बढ़िया अमित जी.
हर जगह ज़िप है............
काश होठों पे भी होती...जब किसी ने कड़वाहट उगली.........ZIP LOCK ...........
:-)
अनु
:-)
जवाब देंहटाएंयाने की रचना किसी भी विषय पर लिखी जा सकती है...वो भी इतनी रोचक.......बहुत बढ़िया अमित जी.
हर जगह ज़िप है............
काश होठों पे भी होती...जब किसी ने कड़वाहट उगली.........ZIP LOCK ...........
:-)
अनु
हे प्रभु...हमारी टिप्पणी पब्लिश कर दीजिए...
जवाब देंहटाएंसुन लिया प्रभु ने....|
हटाएंएक साथ सब छप गई. |.
आभार...|
वाह ! ज़िप पर इतनी रोचक चर्चा...बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंज्यों ज्यों दुनिया सभी की बढती जा रही है ,दिल छोटे होते जा रहे है ।
जवाब देंहटाएंAise me to Yakinan Kam kar sakati hai Zip Vichardhara...
काश ! ऐसे ही कुदरत ने हम इंसानों के दिल पर एक ज़िप लगाईं होती जब दिल छोटा होता ,बस उसे थोड़ा चारों और घुमा लेते ,दिल बढ़ जाता । पर पता नहीं क्यों ,ज्यों ज्यों दुनिया सभी की बढती जा रही है ,दिल छोटे होते जा रहे है । मानवीय दृष्टिकोण ज़िप का इतना अच्छा बस आप से ही अपेछा थी
जवाब देंहटाएंकुदरत ने हम इंसानों के दिल पर एक ज़िप लगाईं होती जब दिल छोटा होता ,बस उसे थोड़ा चारों और घुमा लेते ,दिल बढ़ जाता । पर पता नहीं क्यों ,ज्यों ज्यों दुनिया सभी की बढती जा रही है ,दिल छोटे होते जा रहे है ।
जवाब देंहटाएंवाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..,..
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
rochak prastuti
जवाब देंहटाएंव्यंग्य के साथ साथ बढिया जानकारी के लिए आभार
जवाब देंहटाएंजय हो। जिप महिमा का श्रवण कर हम धऩ्य हुये। भगवान इन गि़डऑन महाशय का भला करे।
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