बिजली विभाग की सरकारी नौकरी करते करते काफी अरसा हो चला है । तमाम कहानी किस्से जुड़े है इस विभाग से । चूंकि जनता का सीधा सम्बन्ध होता है और ऊपर से बिजली इतनी आवश्यक हो चली है ज़िंदा रहने के लिए कि बिजली न रहने पर या खराब हो जाने पर जनता मरने मारने पर उतारू हो जाती है ।
इसी कारण जनता के बीच महत्त्व भी बहुत है बिजली वालों का । इसी से जुडा किस्सा कुछ यूँ है ।
कहते हैं ,बहुत पहले जब कभी कोई बिजली वाला किसी के काम के सिलसिले में उसके घर पहुँच जाता था तब लोग उसकी बहुत खातिर वगैरह करते थे । खूब आवभगत और खिलाने पिलाने के बाद उसे जबरदस्ती टोकन के तौर पर कुछ रुपये भी देते थे और यह कहते थे कि आप हमारे घर पधारे ,उसके लिए आभार और नज़र के तौर पर इन रुपयों को रख लें । चूँकि मामला सम्मान से जुडा होता था ,लोग तनिक न नुकुर के साथ रख लेते थे । यही नज़राना कहलाता था ।
धीरे धीरे वक्त बीतता गया । आने वाली पीढियां यही कहानी सुनती थीं और यही क्रम चलता रहा । धीरे धीरे विभाग के लोगों में भी गिरावट आई और जनता भी सोचने लगी कि इनकी नज़र उतारने का क्या औचित्य ।लेकिन लोग (कर्मचारी वगैरह ) जाते थे जब किसी के यहाँ तब लोग नज़र के तौर पर तो नहीं, हाँ !थोड़ा बहुत एहसान मान उन्हें शुक्रिया अदा करने के उद्देश्य से कुछ रुपये वगैरह दे दिया करते थे ,जो शुकराना कहलाया जाने लगा ।
कुछ समय और बीता । नौजवान किस्म के लोग विभाग में आये और जनता में भी नौजवान लोग ही कर्मचारियों से संपर्क में आने लगे । अब जब काम ख़त्म करके लोग शुकराना के इंतज़ार में वहीँ खड़े रहते तो लोग कह उठते ,किस बाते के रुपये - पैसे ? यह तो तुम्हारा विभागीय कार्य है ,तुम्हारा दायित्व है ,तुम्हे तो करना ही है । इस पर वे सदियों से सुनते आये सुनी सुनाई कहानी सुना देते और फिर धीरे धीरे यह कहने लगे कि ये तो हमारा हक़ है और जो आप देते हो वह हमारा हकराना है । इस तरह हकराना के नाम पर कुछ कुछ फिर पाने लगे ,वे बिजली वाले ।
वक्त के साथ थोड़ी गिरावट और आई । जनता में भी और बिजली वालों में भी । अब तो अव्वल वे काम करते नहीं ,और कभी आपके घर पहुँच गए तो काम खुद तो करेंगे नहीं । उसे कराने के लिए अपने साथ निजी आदमी रखते है और काम के बाद आपसे जबरदस्ती पैसे भी मांग लेते हैं, जिसे अब वे जबराना कहते हैं ।
"इस कहानी का सम्बन्ध किसी घटना या व्यक्ति से नहीं है ,यदि किसी को दुःख पहुंचता है तो हमें खेद है "
:-)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.......
एक दम सटीक.............
सादर
अनु
बिजली वाले पढ़ेंगे तो बिजली काट देंगे और कहेंगे कि इस हरकत से अगर किसी को दुख पहुंचता है तो हमें खेद है। :)
जवाब देंहटाएंमनुष्य के जबरिया विकास की महत्वपूर्ण कड़ी।
जवाब देंहटाएंओहह तो ये कहानी है नज़राना,शुक्राना,हकराना और जबराना की :)
जवाब देंहटाएंसादर
baat sahi h.....ye jabrana ab har jagah h.
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा है आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंतरक्की हुई है ज़माने भर की , नजराना से जबरन तक पहुंचे आखिर !
जवाब देंहटाएंरोचक व्यंग्य !
:) sahi hai nazrana se jabrabrana tak pahunch gaya hai mamla
जवाब देंहटाएंबहुत खूब अमित ...बिलकुल सही लिखा है ..
जवाब देंहटाएंbahut khoob...
जवाब देंहटाएंये जबराना हर जगह व्याप्त होता जा रहा है...
जवाब देंहटाएं:):):)
जवाब देंहटाएंpranam.