अहसास,
कि तुम मिलोगी,
ये आभास,
कि तुम मिलोगी,
ये ख़याल,
कि तुम होगी,
और रोज़ की तरह,
खिलखिलाती,
मींच आँखे,
सकुचाते,
लजाते,
यह कहोगी,
नहीं थे आप,
सूना था सब,
फिर मन ही मन,
खुश होना तुम्हारा ,
निहारना,
और बिखेर देना,
आँखों से अपनी,
एक खुशबू,
जो घुल सी जाती है,
मेरी साँसों में |
और,
यही साँसे,
हो जाती है,
बे-खुशबू,
उदास हो,
चलती हैं,
फिर हवाएं,
दीवारें लगती हैं ,
जकड़ने ,
जब कह,
निकलती हो,
तुम कि,
अच्छा,
हम चलते हैं |
सुन्दर...
जवाब देंहटाएंप्यारी सी रचना...आखरी पंक्ति को छोड़ कर..
:-)
sunder ehsaas .....sunder rachna ...
जवाब देंहटाएंअभी ना जाओ छोड़ के...ये दिल भी कभी भरा है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
अभी ना जाओ छोड़ के...ये दिल भी कभी भरा है...
जवाब देंहटाएंप्यार में कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है :)सुंदर भाव संयोजन से सजी सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहूत हि सुंदर हृदयस्पर्शी रचना है.
जवाब देंहटाएंफिर मन ही मन,
जवाब देंहटाएंखुश होना तुम्हारा ,
निहारना,
और बिखेर देना,
आँखों से अपनी,
एक खुशबू....
वाह खुशबू का बिखरना वह भी आँखों से जवाब नहीं आपकी सोच का...
बहुत खूबसूरत अहसास....
har ichhaa sadaa saath nahee nibhaatee
जवाब देंहटाएंकल शनिवार , 25/02/2012 को आपकी पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
apni si lagi rachnaa
जवाब देंहटाएंसुंदर और कोमल एहसास के साथ लिखी गई रचना ...
जवाब देंहटाएंएक तेरे आना भी तेरे जाने से कम न था...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अहसास....
वाह ...बहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंआशाओं का लहरों की तरह बनना, ऊँचा उठना और अन्ततः किनारों पर आकर नतमस्तक हो जाना, लहरों को इसकी आदत जो पड़ गयी है।
जवाब देंहटाएंबिखेर देना,
जवाब देंहटाएंआँखों से अपनी,
एक खुशबू,
जो घुल सी जाती है,
मेरी साँसों में |
और,......कोमल अहसासों से सजी रचना....बढ़िया...
यादें जब पिघलती हैं तो एहसास बन जाती हैं
जवाब देंहटाएंऔर एहसास जब कागज़ पर उतरता हैं
तो बस यूँ ही.....कविता में तेरी खुशबू मिल जाती हैं
सुन्दर सृजन , बधाई.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग meri kavitayen की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.
Very beautifully written. I am amazed how could you write your emotions so softly. You are a beautiful poet.
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