इतना ही तो कहा था,
थोड़ा काजल लगा लेना,
पलकें तितली हो जाती |
इतना ही तो कहा था,
बिंदी बड़ी लगाना,
चाँद पे चाँद उग आता |
इतना ही तो कहा था,
होठों पे लाली मत लगाना,
रंग का उतरना अच्छा नहीं होता |
इतना ही तो कहा था,
साड़ी गुलाबी पहनना ,
गुलाब पूरा गुलाबी हो जाता |
इतना ही तो कहा था,
केश गीले ही बाँध लेना,
टपकती बूंदे उर-माला बन जाती |
इतना ही तो कहा था,
बस मेरी बाट जोहना,
अधीरता तुम्हारी,
पागल करती मुझे |
इतना ही तो कहा था,
आलिंगन ऐसा करना,
सदियों से व्याकुल हो जैसे कोई |
पर तुमने ऐसा कुछ न किया ।
भय था तुम्हे ,
तुम्हारे प्यार के आगोश में ,
कहीं मै दम न तोड़ देता |
हाँ ! तुम्हारा शक ठीक था,
ज़िन्दगी में सब कुछ मिला,
प्यार के सिवा |
इतना जो प्यार मिलता,
मर ही तो जाता मै शायद ..............!
वाह!!वाह!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब...
मोहब्ब्त से भरपूर रचना..
खूबसूरत भाव...
हम्म.. बेलेंस जरुरी है न ..बहुत खूबसूरत बयानगी .
जवाब देंहटाएंइतना ही तो कहा था
जवाब देंहटाएंइतनी भापूर्ण रचना मत लिखना
टिप्पणीकारों के पसीने छूट जायेंगे !
बहुत ही भावपूर्ण रचना है...
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहराई है इनमे..
जादा प्यार मिले तो भी संभाला नहीं जा सकता ...
बेहतरीन रचना....
अति सर्वत्र वर्ज्यते...लेकिन लम्बी ज़िन्दगी से बेहतर है...कुछ क्षणों का अपरिमित...प्यार...
जवाब देंहटाएंकहना है....कहना है...
जवाब देंहटाएंअब इससे ज्यादा क्या चाहिए...!
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआज आप हतप्रभ कर गये..यह भाव निशब्द कर गया..आपको समर्पित..
जवाब देंहटाएंपीर बहती थी अकेली, बीच तुम क्यों आ गये,
सूर्य का तपना लिखा था, मेघ बन क्यों छा गये,
पास आओ और अपने प्रेम को विधिवत कहो,
बात क्या ऐसी घटी, जो राह में सकुचा गये।
बहुत खूब...
हटाएंआभार |
यह भी एक एहसास है प्यार का
जवाब देंहटाएंक्या बात! क्या बात! क्या बात!............
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ ..? बस ..कुछ नहीं...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
waaah ....itnaa kah diyaa aur itnaa hee kaha bas
जवाब देंहटाएंइतना जो प्यार मिलता,
जवाब देंहटाएंमर ही तो जाता मै शायद .............्चाहत मेरी बडी ना थी मगर किस्मत से लडी ना थी.........बेहद शानदार
प्रेम का रूप, सुकूनदायी भी होता है और मन को व्यथित करने वाला भी......
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति
प्रेम की बेहतरीन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवाह भाई...क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंbhaot hi bhawbhini......
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए शब्द नहीं हैं... इसके हर शब्द में प्रेम भरा है..
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ अमित ..बहुत कुछ है कहने को पर शब्द नहीं ......
जवाब देंहटाएंलाजवाब ..
itna kah kar sab kuchh kah diya...:)) prem se sarabor:))
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भाव संयोजन इतने में ही जाने क्या-क्या कह गए आप :) बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंइतना ही तो कहा था,
जवाब देंहटाएंकेश गीले ही बाँध लेना,
टपकती बूंदे उर-माला बन जाती |
...बहुत खूब ! बहुत सुंदर भावमयी रचना...
सुन्दर भावपूर्ण रचना.....
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)
आपके इस उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन , सुन्दर अभिव्यक्ति.
हटाएंबहुत बेहतरीन....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
सौंदर्य का इतना प्रेमपूर्ण वर्णन ....बेहद खूबसूरत और मर्यादित. बहुत अच्छी कविता अमितजी. बधाई.
जवाब देंहटाएं-शैफाली
बहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंऐसी रचनाएं पुरानी नहीं होतीं...
अनु
बहुत सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ...
:))) ..... बहुत प्यार के साथ लिखी बहुत प्यारी पंक्तियाँ ......
जवाब देंहटाएंये प्यार सदा ऐसा ही बना रहे ...
~सादर!!!
यहां तो मामला पूरा वेलेंटाइन हो गया। :)
जवाब देंहटाएंitna hi to kaha tha ...pyar bhi dard bhi ..is rachna mei dard to hai lekin starting mei aapne jo upmaayein di hain palkein titli ho jaati ..chand pe chaand ug aata ...gulab gulabi ho jata tapakti boondo se ur mala ka banna bahut hi manohaari drishay ka varnan kiya ..bemisal prastuti :-)
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