रविवार, 5 फ़रवरी 2012

" मतदाता व्यथा ......"

                  
                  २ जी ,३ जी क्या है ,नहीं मालूम । सुखराम क्यों जेल गए नहीं मालूम। राजा ,कनिमोझी ने किसकी फसल काट ली थी ,जो जेल गए ,नहीं मालूम ।बोफोर्स ,ताबूत घोटाला क्या है ,नहीं मालूम ।बड़े बड़े लोकप्रिय ,पढ़े लिखे काबिल नेता अचानक जेल क्यों चले जाते है ,नहीं मालूम ।पोंटी चड्ढा के यहाँ से इतना रुपया क्यों मिला और अगर मिला तो वहां अभी तक एकत्र किसने होने दिया ,नहीं मालूम । चारा घोटाला,खाद्दान घोटाला कब हुआ ,किसने किया ,किसे सजा मिली ,नहीं मालूम ।
                 साईकिल पर चलने वाले रातो रात इतनी लम्बी गाड़ियों के मालिक कैसे बन जाते है ,नहीं मालूम । इतनी हाई मेरिट वाले आई. ए. एस./ आई.पी.एस. अफसर,नेताओं के आगे क्यों बौने हो जाते है ,नहीं मालूम ।जो इतनी अच्छी अच्छी बाते करते है ,दरअसल उनके इतने नीच कर्म कैसे होते है ,नहीं मालूम ।
                हाँ! इतना अवश्य मालूम हो गया है कि अपने देश में धन दौलत की कोई कमी नहीं है ,योजनाओं की कोई कमी नहीं है । परन्तु कोई भी दल हो ,कोई भी नेता हो या उस कड़ी का कोई भी अफसर हो वो तो आम आदमी के हित में लगाए जाने वाले धन को ऐसे सोख लेता है जैसे ब्लाटिंग पेपर स्याही सोख लेता  है ।
                आखिर चुनाव में वोट दे तो किसे दे ? हम लोगो को जाति धर्म में उलझा कर सभी दल बस सत्ता पर काबिज होने की फिराक में है । न किसी का कोई सिद्धांत , न कोई प्रतिबद्धता ।
                परन्तु नेताओं को अब सचेत हो जाना चाहिए क्योँ कि जनता अब जान गई है कि देश में अब किसी जाति धर्म या समाज के नाम पर संघर्ष नहीं होगा । अब केवल दो वर्ग स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ने लगे है । एक  है 'वंचित वर्ग' और दूसरा 'संचित वर्ग' । वंचित वर्ग में वे लोग है जो वंचित है अवसरों से ,धन से,संसाधनों से और संचित वर्ग में वे लोग है जिन्होंने इतना अधिक संचित कर लिया है कि शायद आने वाली कई पीढ़ियों तक उन्हें कोई श्रम नहीं करना पडेगा । लेकिन जिस दिन वंचित वर्ग सही मायने में जागरूक हो जाएगा ,संचित वर्ग को शरण लेने के लिए इस धरती पर जगह मिलना कठिन हो जाएगा ।
                बेहतर हो,नेता-अफसर  तनिक आत्मविवेचना करे ,थोड़ा सा आम आदमी के प्रति जवादेही महसूस करे । देश को प्रगतिशील बनाने हेतु शिक्षा,स्वास्थ्य,अवस्थापना के क्षेत्र में ठोस कार्य करें । अन्यथा की स्थिति में जहां अन्य देश पूरे विश्व को मुट्ठी में कर प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कर तरक्की कर रहे हैं ,हम लोग पूरे विश्व में केवल श्रमिक के रूप में ही देखे जायेंगे ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. संसाधन सब, गड़बड़ झाला चरम छुये है,
    क्या मजबूती, वोट हमारा नरम हुये है।

    जवाब देंहटाएं
  2. भैया इनका इन्वेस्मेंट ५००% का लाभ देता है...घोटालों का पैसा देश में लग जाता तो हम कहाँ होते...

    जवाब देंहटाएं
  3. आपके कथनानुसार ये संचित वर्ग समय रहते सचेत न हुए तो वंचित वर्ग को दूसरी आज़ादी की लड़ाई लड़ने से कोई रोक नहीं सकता .

    जवाब देंहटाएं
  4. जी हा जनता अब जागरूक हो गई है ,अब संचित वर्ग सुधर जाए तो अच्छा है .सार्थक लेख ..

    जवाब देंहटाएं
  5. लोकतंत्र के मायने ही गुमशुदा हैं मौजूदा दौर में.........


    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......

    जवाब देंहटाएं
  6. सच है ..जिम्मेदारी हर वर्ग को निभानी होगी ....

    जवाब देंहटाएं
  7. हम आज भी विश्व में श्रमक के रूप में ही देखे जाते हैं ...
    पहले अंग्रेजों ने लूटा अब नेता लूट रहे अहिं देश को ... और जनता ... पता नहीं कब जागेगी ...

    जवाब देंहटाएं