" गुनगुने आंसू ...."
बर्फ से गाल पे,
लुढकी दो बूंदे,
आंसुओं की,
गुनगुनी सी |
बन गई लकीर,
नमक की |
लोग कह उठे,
चेहरे पे उसके,
तो नमक है |
मन की भाप,
कितनी उठी होगी,
कितनी सूखी होगी,
तब शायद,
बना होगा,
नमक चेहरे पे |
गुनगुने आंसू ,
गर जो पा जाए,
हथेलियाँ,
सूखने से पहले ,
गुनगुना उठते हैं,
कुछ बोल मोहब्बत के |
सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
umdaa rachnaa
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंनाज़ुक से भाव...
सादर.
गहरे बोलते उभरे आँसू..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंचेहरे पे नमक ...लावण्य को इतनी सादगी और सुंदरता से व्यक्त किया आपने ...आभार
जवाब देंहटाएंगुनगुने आंसू हथेलियों का स्पर्श पाकर गुनगुना उठे.... वाह.... लाज़वाब
जवाब देंहटाएंगुनगुने आंसू ,
जवाब देंहटाएंगर जो पा जाए,
हथेलियाँ,
सूखने से पहले ,
गुनगुना उठते हैं,
कुछ बोल मोहब्बत के |... वरना खारे खारे ही होते हैं
अनुपम भाव संयोजन लिए ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
गज़ब गज़ब गज़ब …………क्या भाव भरे हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत खूबसूरत ..
जवाब देंहटाएंइस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
sunder bhaav ...sunder rachna ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर.
जवाब देंहटाएंगहन भावाभिव्यक्ति
बेहतरीन रचना...:-)
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जवाब देंहटाएंगहरे भाव।
जवाब देंहटाएंगुनगुने आंसू गुनगुना उठते हैं ....
जवाब देंहटाएंहथेलिया पाकर ....
सूखने से पहले ...
वर्ना पत्थर हो जाते हैं ....
गुनगुने आंसू से बुनी मुहब्बत की कहानी ... बहुत ही लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव ...
जवाब देंहटाएंलाज़वाब...बहूत ही उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..आभार
जवाब देंहटाएंइतनी खूबसूरत परिभाषा आंसुओं की कि बस पलकों पर ही ठहरे रहे !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !