सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

"वो रिश्ते "



रिश्तों में, 
इतनी, 
सीलन,
कि,
शब्दों में भी,
झलकती है,
फफूंद |

कोशिश,
की,
स्मृतियों, 
की,
धूप,
से,
गर्माहट,
मिले,
थोड़ी |

पर,
नहीं,
वो तो,
अमादा है,
पुराना,
कुछ भी,
ना रखने को,
ना सीलन,
ना फफूंद,
ना जाले सरीखे,
यादें |

   "रिश्ते भी खुली हवा में ही पनपते हैं शायद,अन्यथा सीलन और फ़फ़ूंद तो  उनमें लगनी ही है । "

15 टिप्‍पणियां:

  1. कम शब्दों में जीवन का सत्य उघाड़ कर रख दिया।

    जवाब देंहटाएं
  2. रिश्तों में,
    इतनी,
    सीलन,
    कि,
    शब्दों में भी,
    झलकती है,
    फफूंद |बहुत ही अच्छी पंक्तिया.....

    जवाब देंहटाएं
  3. जो रिसता रहे शायद वही रिश्ता है.अच्छी लगी.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही बढ़िया सर!
    -----
    कल 12/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. नहीं,
    वो तो,
    अमादा है,
    पुराना,
    कुछ भी,



    Bhaut umda.....

    -Mere Shabd

    जवाब देंहटाएं
  6. रिश्तों में,
    इतनी,
    सीलन,
    कि,
    शब्दों में भी,
    झलकती है,
    फफूंद |

    पर,
    नहीं,
    वो तो,
    अमादा है,
    पुराना,
    कुछ भी,
    ना रखने को,
    ना सीलन,
    ना फफूंद,
    ना जाले सरीखे,
    यादें |

    "रिश्ते भी खुली हवा में ही पनपते हैं शायद,अन्यथा सीलन और फ़फ़ूंद तो उनमें लगनी ही है । "

    एकदम सही कहा आपने....

    पूर्ण सहमति...!!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सही लिखा है |रिश्ते कैसे निभाएं और उनका अहसास कैसा हो बहुत मायने रखता है |कभी वे पनपने की जगह सीलन से खराब भी हो जाते हें |आशा

    जवाब देंहटाएं