अरे ! सुनते हैं ,मोहित  ने चवन्नी निगल ली है ,यह कहते हुए उसकी माँ चीख पड़ी थी ,उसके पापा भी दौड़ते हुए आये और थोडा हौसला दिलाने की नीयत से बोले थे  ,नहीं नहीं मुंह  में नहीं गई होगी ,देखो नीचे कहीं गिरी होगी | घर के सारे लोग ज़मीन पर चवन्नी ढूंढने में लग गए | पर वह तो, मोहित  मुहं में डाल चुका था सो रोते हुए बोला कि ,वह  मेरे पेट में चली गई है | माँ तो बुरी तरह से रो रही थी ,किसी ने कहा उल्टा लटका कर पीठ पर धौल जमाओ,किसी ने कहा इसे खूब केले खिलाओ  ,सबेरे अपने आप बिना किसी नुकसान के निकल जाएगी | मोहित  के पापा उसे फ़ौरन डाक्टर के पास ले गए ,वहां उसका एक्स रे किया गया | चवन्नी पेट में ही थी और आराम से पेट के कोने में टिकी थी | डाक्टर अच्छा और तजुर्बे वाला था ,उसने कोई अच्छी सी दवा दी और वह चवन्नी सबेरे पेट से बाहर निकल गई, बिना कोई नुकसान किये |
                   इस बात को बीते बरसों बीत गए | मोहित  बड़ा होता  गया | पढने में मेधावी था ,उसका चयन एक अच्छे  इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया | वहां से उत्तीर्ण होते ही सरकारी महकमे में नौकरी लग गई | बड़ी ईमानदारी और लगन से वह, वहां कार्य कर रहा था ,पर चूँकि ईमानदार था, सो समाज और परिवार में अपेक्षित सम्मान और महत्त्व नहीं प्राप्त कर पा रहा था | लोगो की जबानी वह सफल नहीं था | आख़िरकार  समय के साथ मोहित  ने सफलता के गुर सीख लिए और अपेक्षित परिणाम दिखने लगा |
                     अब उसके पेट में दर्जनों पुल थे ,सड़के थी ,सीमेंट था ,सरिया थी ,करोड़ों चवन्नियां थी, पर अब चिंता करने वाला कोई माँ-बाप (बचपन वाला)  नहीं था | काश ! अब भी बचपन की तरह उसके पेट की चिंता करने वाला कोई होता ,जो उसका समय रहते एक्सरे करवा देता ,जिससे शुरुआत होते ही वह संभल जाता पर अफ़सोस अब वहां ऐसा कोई ना था और वही माँ बाप उसे  यह सब निगलते देख पूरे समाज में उसकी भूरि भूरि  प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे |
                      और परिणाम, आज वह जेल में है |
( हसन ,राजा,राडिया,कौडा ,कलमाड़ी तमाम ऐसे नाम है जिन्हें अगर उनके माँ बाप या शुभचिंतक या इर्द गिर्द के लोग ,समय रहते चवन्नी निगलने से रोक लेते तो शायद उन्हें आज यह दिन ना देखना पड़ता )


 
 






