पहले तो अक्सर होता था,
वो कहते थे हिचकी आ रही थी,
जब जब मेरा नाम लिया बन्द हो गई थी,
अब ऐसी कोई बात नही,
ऐसा नही कि उन्हें अब हिचकी नही आती,
पर मेरा नाम लेने से बन्द नही होती,
पता नही कि वे याद नही करते,
या मैं याद नही आता,
काश एक बार फ़िर,
वे याद तो मुझे करते,
फ़िर वैसे ही कहते,
कि लग रहा था कि,
मैं इत्तफ़ाक से मिलूंगा,
और मैं मिल भी जाता,
पर ऐसा क्या हुआ जो,
याद तो दूर भूल कर भी,
मेरी भूलों को नही भूलते,
पर सच तो यह है कि,
याद तो मै भी नही करता उन्हें,
क्योंकि मैं पहले भूल तो जाऊं उन्हे,
तब तो याद करूं।
बहुत खूब अमित जी ...ये यादें कुछ पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़तीं ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब्।
जवाब देंहटाएंक्षितिजा जी एवं वन्दना जी,बहुत बहुत शुक्रिया।"यादे" तो समय का रीचार्ज कूपन सी होती हैं,इस पर भी मैने पिछले माह की पोस्ट में लिखा था,कभी समय हो तो देखियेगा।
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