शुक्रवार, 25 मार्च 2011

"सौन्दर्य और सुरभि"

तितलियाँ मन को,
इतना भाये  क्यूँ ,
जबकि जीना उनका,
बस पल दो पल का |
फूल रंग बिरंगे इतने,
पर होना उनका,
बस कुछ पलों का |
क्या समीर क्या नदी ,
वेग उनका  इतना कि,
उनसे मिलना भी,
बस पलक भर का |
सुरभि बिखेरे फूल ,
या बिखेरे कस्तूरी ,
पर बिखरना  उनका,
भी पल भरों का |
मन लुभाने वाले पल,
होते हैं क्षणभंगुर क्यूँ |
या नियति है यह,
सौन्दर्य और सुरभि  की |
मुलाकात एक पल की,
और दर्द जीवन भर का |

10 टिप्‍पणियां:

  1. सौन्दर्य और सुरभि की |
    मुलाकात एक पल की,
    और दर्द जीवन भर का
    प्रकृति का बिम्ब यथार्थ पर बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ .

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  2. मन लुभाने वाले पल भले ही क्षणभंगुर रहें पर उनकी सुगन्ध रची बसी रहती है, हमारे जीवन में।

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  3. सुंदर पलों की यादें कहाँ जाती हैं.... बेहतरीन रचना

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  4. फूल रंग बिरंगे इतने,
    पर होना उनका,
    बस कुछ पलों का |

    हम भी एक फूल की तरह है ..लेकिन हम खुद को वह नहीं समझते जो हम हैं ..बस वास्तविकता यहीं पर खत्म हो जाती है और हम अपना अस्तित्व भूल जाते हैं ..सार्थक रचना

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  5. मन लुभाने वाले पल,
    होते हैं क्षणभंगुर क्यूँ |

    मन को लुभाने वाले और खुशी देने वाले पलों का जीवन ज़रूर कुछ क्षण का होता है पर वे जीवन में एक अमित यादगार बनकर सदैव साथ रहते हैं..बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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  6. या नियति है यह,
    सौन्दर्य और सुरभि की |
    मुलाकात एक पल की,
    और दर्द जीवन भर का

    CLIMAX IS SELF EXPLANATORY.
    TOUCHING POEM.

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  7. "मन लुभाने वाले पल,
    होते हैं क्षणभंगुर क्यूँ |"

    "मुलाकात एक पल की,
    और दर्द जीवन भर का |"

    बस जीवन भी इतना ही है...

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  8. ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

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  9. बहुत सुन्दर....
    शायद पल भर को ठहरी है इसलिए इतनी प्रिय है.....

    अनु

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