माँ के लिए उसके बच्चे का जन्मदिन मात्र एक तिथि नही होता है। उस दिन वो पुनः हर्ष मिश्रित प्रसव पीड़ा से गुजरती है।
एक बच्चे को जन्म देने में वो कई बार माँ बनती है। पहली बार वो उस दिन बनती है जिस दिन prega news से न्यूज़ मिलती है। दूसरी बार तब बनती है जब वो अल्ट्रा साउंड में उसकी धड़कन देखती है। तीसरी बार तब बनती है जब वो भीतर से पांव मारता है। इस दौरान वो रोज दिन में कल्पनाओं में खोई रहती है।
जिस दिन बच्चे का जन्म होता है उस दिन उसे ईश्वर के होने का पूरा विश्वास हो जाता है क्योंकि उस दिन वो अपनी ज़िंदगी से एक नई जिंदगी बना चुकी होती है जिस पर उसे सहसा विश्वास नही होता है।
बच्चे के जन्म के बाद जब माँ की आंखे अपने बच्चे को देखती है तो वो ईश्वर के दिये उस खिलौने को निहारते हुए उसके चेहरे को गौर से देख कर निहाल हुई जाती है।
बरसों बाद तक भी बच्चा कितना बड़ा भी क्यों न हो जाये माँ वह पल, दिन नही भूलती। विशेषकर जन्मदिन के दिन तो वो जन्मदिन सबके लिए बस एक उत्सव उल्लास का होता है परंतु माँ के मन मे एक पूरा चलचित्र चल रहा होता है और यह हर साल होता है।
बच्चा कितना भी वयस्क क्यों न हो जाय और बाद में वो स्वयं भी एक बच्चे का पापा क्यों न बन जाये फिर भी उसकी माँ के लिए कम से कम उस दिन वो नवजात ही होता है।
यह अद्भुत एहसास करने का हुनर कुदरत ने बस माँ को ही दिया है। बच्चे इसे amazon या flipcart की डिलीवरी से ज्यादा कुछ नही समझते। इसमे उनका दोष नही है , ईश्वर ने यह भाव उन्हें दिया ही नही है।
आज अनिमेष का जन्मदिन है।
इसी दिन हम दो से तीन हुए थे। 😊
बधाई और शुभकामनाएं | मेरे छोटे सुपुत्र का नाम भी अनिमेष है :)
जवाब देंहटाएंवाह। 😊
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