बुधवार, 18 दिसंबर 2013

"हाफ़िज़ खुदा ......."


आशिकी ने उनकी ,
गुदगुदाया तो है ,

मन ही मन आज ,
मन मुस्कुराया तो है ,

यूँ चाहते थे हमको ,
अब बताया जो है ,

गई जान जान से ,
गर भुलाया जो है ,

छलक क्यूँ गए आंसू ,
याद दिलाया ही तो है ,

ख़्वाबों को उनके अब ,
पलकों पे सुलाया ही तो है ,

माना मोहब्बत उनसे ,
आसाँ नहीं है अब ,

हाफ़िज़ खुदा तो कह दूँ ,
बस इतना चाहा ही तो है ।

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