आदरणीय केजरीवाल साहब,
बधाई आपको और आपकी टीम को ,अभूतपूर्व विजय के लिए । कांग्रेस पार्टी एक बहुत पुरानी राष्ट्रीय पार्टी है । शासन करते करते उसने आम जनता को निरीह / असहाय वर्ग का प्राणी मान लिया था । परिवारवाद की आड़ में तमाम नेता अपनी करनी से देश और देश की जनता का बेडा गर्क करते गए और अपना भर पूर भला करते रहे । कांग्रेस के शासन काल में महंगाई / भ्रष्टाचार / कुशासन चरम पर रहा ।
आम आदमी एक सच्चा साधारण सा बस आम आदमी होता है । वह इतना चाहता है बस कि उसके सारे काम सत्ता में बैठे लोग ईमानदारी से करते रहे । समाज में भय का वातावरण न हो । उनकी बहू / बेटियां अपने घरों / कार्यस्थलों में सुरक्षित रहे ।गरीब आदमी भी कम से कम दो वक्त कम पैसों में अपना पेट भर सके ।
आप और आपके नए सदस्य अभी चुन कर आये हैं । आप लोग बिलकुल ही नए हैं इस माहौल के लिए । बहुत अधिक श्रम कर आप यहाँ तक पहुंचे हैं । आपके पास इनसे लड़ने के लिए न पर्याप्त धन है और न संसाधन । आंकड़े जिस स्थिति को बयान कर रहे हैं उसमे पूरी उम्मीद है कि दूसरा दल आपके दो / चार सदस्यों को धन / वैभव के बल पर अपनी ओर खींचने का प्रयास अवश्य करेगा । लोभ का आकर्षण बड़ा लुभावना होता है । बड़े बड़े ऋषि मुनि भी डोल जाते हैं ,इतिहास इसका गवाह है ।
जीते हुए सदस्य कभी भी पुनर्मतदान नहीं चाहते । चुनाव लड़ने में और ख़ास कर जीतने के बाद सदस्य एकदम थक जाता है और निढाल सा हो चुका होता है । हारा हुआ नेता तो पुनः चुनाव में रूचि ले लेता है क्योंकि उसे उम्मीद हो जाती है कि शायद दुबारा वह जीत जाए । यह बात सभी पार्टियों पर लागू होती है । आप के लोग तो विशेष कर पुनः चुनाव नहीं चाहेंगे ,क्योंकि आपके पास तो धन का भी अभाव है और कार्यकर्ताओं का भी । ऐसे में आपके सदस्य सबसे अधिक आसानी से 'टारगेट' किये जा सकते हैं दूसरे दल द्वारा ।
चुनाव से पहले और अब चुनाव जीतने के बाद आपने भी अब तक अपने सदस्यों में थोड़ा परिवर्तन अवश्य महसूस किया होगा । यह मानव स्वभाव है । यह चुनाव आपने वर्त्तमान सरकार की कमियां / गलत नीतियां / नान-परफार्मेंस को जनता के सामने रख कर जीता है । अब आपको सरकार में रहकर ,भले ही विपक्ष में ,उन सभी कमियों को पूरा कराना है । पानी / बिजली / महंगाई की समस्या से निजात दिलाना है जो बहुत आसान नहीं है । किसी समस्या को सामने उठाना ,कमिया निकालना ,घटनाओं का विश्लेषण करना बहुत सरल है परन्तु पूर्व से ही प्रयास कर अपेक्षित परिणाम दे पाना कहीं कठिन ।
'आई आई टी' से निकलने के बाद अनेक स्वर्णिम अवसर छोड़ आप सरकारी नौकरी में आये । आप भी बाक़ी लोगों की तरह ऐशोआराम की ज़िन्दगी जी सकते थे परन्तु आपने अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीना स्वीकार किया और उसी जूनून का फल है कि आपको जनता ने अपना प्रतिनिधि बड़ी उम्मीदों के साथ चुना । आपके सभी साथी भी आपकी तरह ही जुनूनी हो तभी जनता की उम्मीदों पर आप खरे उतर पाएंगे ।
इस समय देश की राजनीति करने वाले लोग बहुत गंदे हैं । वे आपको और आपके साथियों को नैतिक /अनैतिक कामों में उलझा कर जल्दी से जल्दी आपका अंत करना चाहेंगे । आपको बहुत सोच विचार कर ,ठोंक बजा कर निर्णय लेना होगा । अन्ना के आंदोलन के समय आप अपने साथियों में मन मुटाव देख ही चुके हैं ।
ईश्वर आपका साथ दें और आपके साथियों को विवेक और सद्बुद्धि दें जिससे वे अपने इर्द गिर्द फैले दुश्मनों को पहचान सके । अब अगर यह मौक़ा निकल गया तो भारत की राजनीति में फिर कभी कोई सुधार न हो सकेगा । बस अभी आप विपक्ष में रहकर सरकार की नाक में इतना दम करते रहिये कि उसे गलत करने में सौ बार सोचना पड़े और हाँ समस्याओं को हल करने में अपना सुझाव देकर सरकार का सहयोग भी करें यही स्वस्थ प्रजातंत्र होगा ।
अंत में यह भी अवश्य निवेदन करूंगा कि आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान अवश्य रखें तभी आप जन कल्याण करने में अपना शत प्रतिशत योगदान दे पाएंगे ।
----------------------------------------------------------------एक आम आदमी ।
बधाई आपको और आपकी टीम को ,अभूतपूर्व विजय के लिए । कांग्रेस पार्टी एक बहुत पुरानी राष्ट्रीय पार्टी है । शासन करते करते उसने आम जनता को निरीह / असहाय वर्ग का प्राणी मान लिया था । परिवारवाद की आड़ में तमाम नेता अपनी करनी से देश और देश की जनता का बेडा गर्क करते गए और अपना भर पूर भला करते रहे । कांग्रेस के शासन काल में महंगाई / भ्रष्टाचार / कुशासन चरम पर रहा ।
आम आदमी एक सच्चा साधारण सा बस आम आदमी होता है । वह इतना चाहता है बस कि उसके सारे काम सत्ता में बैठे लोग ईमानदारी से करते रहे । समाज में भय का वातावरण न हो । उनकी बहू / बेटियां अपने घरों / कार्यस्थलों में सुरक्षित रहे ।गरीब आदमी भी कम से कम दो वक्त कम पैसों में अपना पेट भर सके ।
आप और आपके नए सदस्य अभी चुन कर आये हैं । आप लोग बिलकुल ही नए हैं इस माहौल के लिए । बहुत अधिक श्रम कर आप यहाँ तक पहुंचे हैं । आपके पास इनसे लड़ने के लिए न पर्याप्त धन है और न संसाधन । आंकड़े जिस स्थिति को बयान कर रहे हैं उसमे पूरी उम्मीद है कि दूसरा दल आपके दो / चार सदस्यों को धन / वैभव के बल पर अपनी ओर खींचने का प्रयास अवश्य करेगा । लोभ का आकर्षण बड़ा लुभावना होता है । बड़े बड़े ऋषि मुनि भी डोल जाते हैं ,इतिहास इसका गवाह है ।
जीते हुए सदस्य कभी भी पुनर्मतदान नहीं चाहते । चुनाव लड़ने में और ख़ास कर जीतने के बाद सदस्य एकदम थक जाता है और निढाल सा हो चुका होता है । हारा हुआ नेता तो पुनः चुनाव में रूचि ले लेता है क्योंकि उसे उम्मीद हो जाती है कि शायद दुबारा वह जीत जाए । यह बात सभी पार्टियों पर लागू होती है । आप के लोग तो विशेष कर पुनः चुनाव नहीं चाहेंगे ,क्योंकि आपके पास तो धन का भी अभाव है और कार्यकर्ताओं का भी । ऐसे में आपके सदस्य सबसे अधिक आसानी से 'टारगेट' किये जा सकते हैं दूसरे दल द्वारा ।
चुनाव से पहले और अब चुनाव जीतने के बाद आपने भी अब तक अपने सदस्यों में थोड़ा परिवर्तन अवश्य महसूस किया होगा । यह मानव स्वभाव है । यह चुनाव आपने वर्त्तमान सरकार की कमियां / गलत नीतियां / नान-परफार्मेंस को जनता के सामने रख कर जीता है । अब आपको सरकार में रहकर ,भले ही विपक्ष में ,उन सभी कमियों को पूरा कराना है । पानी / बिजली / महंगाई की समस्या से निजात दिलाना है जो बहुत आसान नहीं है । किसी समस्या को सामने उठाना ,कमिया निकालना ,घटनाओं का विश्लेषण करना बहुत सरल है परन्तु पूर्व से ही प्रयास कर अपेक्षित परिणाम दे पाना कहीं कठिन ।
'आई आई टी' से निकलने के बाद अनेक स्वर्णिम अवसर छोड़ आप सरकारी नौकरी में आये । आप भी बाक़ी लोगों की तरह ऐशोआराम की ज़िन्दगी जी सकते थे परन्तु आपने अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीना स्वीकार किया और उसी जूनून का फल है कि आपको जनता ने अपना प्रतिनिधि बड़ी उम्मीदों के साथ चुना । आपके सभी साथी भी आपकी तरह ही जुनूनी हो तभी जनता की उम्मीदों पर आप खरे उतर पाएंगे ।
इस समय देश की राजनीति करने वाले लोग बहुत गंदे हैं । वे आपको और आपके साथियों को नैतिक /अनैतिक कामों में उलझा कर जल्दी से जल्दी आपका अंत करना चाहेंगे । आपको बहुत सोच विचार कर ,ठोंक बजा कर निर्णय लेना होगा । अन्ना के आंदोलन के समय आप अपने साथियों में मन मुटाव देख ही चुके हैं ।
ईश्वर आपका साथ दें और आपके साथियों को विवेक और सद्बुद्धि दें जिससे वे अपने इर्द गिर्द फैले दुश्मनों को पहचान सके । अब अगर यह मौक़ा निकल गया तो भारत की राजनीति में फिर कभी कोई सुधार न हो सकेगा । बस अभी आप विपक्ष में रहकर सरकार की नाक में इतना दम करते रहिये कि उसे गलत करने में सौ बार सोचना पड़े और हाँ समस्याओं को हल करने में अपना सुझाव देकर सरकार का सहयोग भी करें यही स्वस्थ प्रजातंत्र होगा ।
अंत में यह भी अवश्य निवेदन करूंगा कि आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान अवश्य रखें तभी आप जन कल्याण करने में अपना शत प्रतिशत योगदान दे पाएंगे ।
----------------------------------------------------------------एक आम आदमी ।
अभी देखते हैं ऊंट किस करवट बैठेगा ..... अभी तो बेचैन है :)
जवाब देंहटाएंभगवान आपका साथ दे। अभी सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है।
जवाब देंहटाएंआपकी अपील स्वागत योग्य है , देखे क्या होता है आगे। फिलहाल तो चुनाव होते ही दिखते हैं
जवाब देंहटाएंहम तो बस इतनी दुआ करते है कि यह और इनके साथ "आम" ही बने रहे ... "खास" बनने का शौक जो लग गया तो कहीं के न रहेंगे | वैसे भी इन के कुछ साथियों मे यह बीमारी पहले से मौजूद है |
जवाब देंहटाएंआमीन.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव। केजरीवाल इन बातों को जरूर समझते होंगे। भरोसा करिए।
जवाब देंहटाएंकल एक इंटरव्यू में कह रहे थे कि उनके विधायकों को तोड़-फोड़ से बचाने के मुकम्मल इन्तजाम किये जा चुके हैं। कोई भी किसी भी कीमत पर नहीं टूटेगा।
आशा की जानी चाहिए कि ऐसा ही हो।
अभी शुरुआत है मजबूती से टिके रहे तो दूर तक जाने वाले हैं अरविन्द जी ... शुभकामनायें हैं उन्हें ...
जवाब देंहटाएंकेजरीवाल को बधाई.... देखिये आगे क्या होता है .....
जवाब देंहटाएंकार्य करने की प्रस्तावना हो चुकी है, अब विषयवस्तु पर उतरा जाये।
जवाब देंहटाएंएक दिशाहींन अनुभवहीन राजनातिक ईमानदार आदमी ।
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