दस्तूर निभाना है ,
कविता लिखना है ,
सुबह से शाम हुई ,
कविता न तैयार हुई ।
तैरते ख्याल ,
न जाने डूबे कहाँ ,
टटोला दिल को ,
रूठ कर बोला ।
कभी लिख पाए हो ,
यूँ अकेले तुम,
जरा तसव्वुर में ,
'उन्हें' आने दो ,
फिर अपनी कलम,
बह जाने दो ।
बेख्याली में ख्याल,
जब उनका आया ,
खुद को कविता,
में लिपटा पाया ।
अब कविता न अधूरी थी ,
भर उठी खुशबू से पूरी थी ,
पायल सी वह बजने लगी ,
बोल वह गुनगुन करने लगी ।
अब कविता ,
में जान थी ,
या मेरी 'जान' ,
कविता में थी ।
बैठे हों तसव्वुर में किसी के, ऐसे में कविता छम्म से आ जाए तो क्या हो :)
जवाब देंहटाएंकवि जी उठेगा बस और फिर क्या चाहिए उसे ..।
हटाएंकविता में आपकी जान थी इसलिए तो जी उठी कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
सादर
अनु
जी तो उठती है ,मेरी कविता हर बार ,पर प्रायः क्षण भंगुर ही रहती है ।
हटाएंकवि कहना चाहता है कि अपना उसका कुच्छ नहीं है। जो है सो सब तस्व्वुर,उनके कारण है!
जवाब देंहटाएंआप तो 'तसव्वुर' पर भी रोयल्टी का प्रतिबन्ध लगा देंगे ,लगता है ।
हटाएंकविता स्वयं बनती है जैसे आपकी बन् गयी.... बधाई...
जवाब देंहटाएंशब्दों को भाव ही जीवंत बनाते हैं...
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति .....
जवाब देंहटाएंचाह लें तो राह निकल आती है, कविता में भी..
जवाब देंहटाएंतस्सव्वुर बिना कविता की रचना में रस ही कहाँ जनाब | बहुत खूब कहा आपने | बधाई
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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कविता में रस तभी है ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhaav ..bhav se bani kavita ...beh rahe armaan ..behi pyar ki sarita...
जवाब देंहटाएंbadhai :-)
कविता दिवस पर विशेष Os ki boond: कविता की खोज में ......
जवाब देंहटाएंकविता में अपनी ही ''जान '' बसी हुई है
जवाब देंहटाएंबेख्याली में भी इतने खूबसूरत ख्याल कि कविता बन गुनगुन करने लगे छन से छनक उठे... बहुत खूब...बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
जब कविता लिपटती है तब जान होने का अहसास भी होता है..
जवाब देंहटाएंजब मन भाव आते है तभी कविता बा पाती है ,,,,बहुत ही सुंदर रचना,,,बधाई
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
Recent post: रंगों के दोहे ,
जब मन रमा कविता में
जवाब देंहटाएंकविता क्यूँ ना बनती ...
बहुत सुंदर ....
शुभ-कामनाएं
कविता में जान...और जान में कविता..... दोनों ही एक-दूजे के पूरक.... :-)
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति!
~सादर!!!
मन में हो मान-भरी,सबद-सबद कविता में जान पड़ी!
जवाब देंहटाएंकविता दिवस पर सार्थक कविता का सृजन.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंपधारें "चाँद से करती हूँ बातें "
बहुत सुंदर ..... आज कल हर चीज़ का दिवस होने लगा है ...
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