"शब्द भीतर रहते हैं तो सालते रहते हैं,
मुक्त होते हैं तो साहित्य बनते हैं"। मन की बाते लिखना पुराना स्वेटर उधेड़ना जैसा है,उधेड़ना तो अच्छा भी लगता है और आसान भी, पर उधेड़े हुए मन को दुबारा बुनना बहुत मुश्किल शायद...।
वैसे तो किसी रचना के पीछे का भाव खुद रचनाकार ही जानता है...बाकी लोग तो अपनी समझ समझते हैं..! हमें ये रचना कुछ उदास सी लगी...और पहली बार आपकी रचना में दिखी...~ अगर हम सही हैं... तो उम्मीद है, आप जल्द ही इस उदासी से बाहर निकल आएँगे..... और हमेशा की तरह मुस्कुराहट बिखेरेंगे... :-) सुंदर अभिव्यक्ति! ~सादर!!!
सुंदर भावनायें और शब्द भी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति.शुभकामनायें. आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://mmsaxena69.blogspot.in/
जीवन में सब रंग है.... जीने भी हमें ही होते हैं
जवाब देंहटाएंगहन मन के भाव ..!!
जवाब देंहटाएंशाश्वत सत्य से रू-ब-रू करती कविता ...!!
मुश्किलों से भाग कर कहाँ तक जाओगे ?
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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वैसे तो किसी रचना के पीछे का भाव खुद रचनाकार ही जानता है...बाकी लोग तो अपनी समझ समझते हैं..!
जवाब देंहटाएंहमें ये रचना कुछ उदास सी लगी...और पहली बार आपकी रचना में दिखी...~ अगर हम सही हैं... तो उम्मीद है, आप जल्द ही इस उदासी से बाहर निकल आएँगे..... और हमेशा की तरह मुस्कुराहट बिखेरेंगे... :-)
सुंदर अभिव्यक्ति!
~सादर!!!
बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति है आदरणीय |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें स्वीकारें ||
उदासी भी जिंदगी का ही एक रंग है,बहुत ही उम्दा प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआखिर जाना है एक दिन
जवाब देंहटाएंहम चले जायेंगे एक दिन
जीवन का परम सत्य भी यही है... गहन भाव... शुभकामनायें
रात का प्रथम पहर,
जवाब देंहटाएंबड़ा डराता है,
जब तक नींद नहीं ले आता है।
वाह सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबधाई
पुकारा करेंगे 'वो' सब ,
जवाब देंहटाएंन मुस्करायेंगे हम ।
बहुत सुन्दर...
लेकिन मुस्कारा के बधाई स्वीकार करें....
सुंदर भावनायें और शब्द भी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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नींद के सोने पर भी कुछ जागता है..
जवाब देंहटाएंनींद न आने पर ख्याल आते ही हैं ..पर ये उदासी भरे क्यों?
जवाब देंहटाएंamit ji udasi ki sundar abhivyakti ...aapke kalam se shabd yu jharte hain jaise kisi haseen ke gaalo se gulab :-)
जवाब देंहटाएंमेरी नई कविता पर आपकी उपस्थिति चाहती हूँ Os ki boond: सिलवटें ....
ख़्वाब बुन रहे हैं ,
जवाब देंहटाएंपर ख्याल उधड़ रहे
उधड़े ख्यालों से ही तो ख्वाब बुन जाते हैं
सब जागते होंगे सो तो जाना ही है एक दिन... शाश्वत नियम. भावपूर्ण रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंऐसी उदासी आपकी कलम से अच्छी नहीं लगती
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