रविवार, 10 मार्च 2013

'बम बम ' नाम एक यादों भरा ........'


कालेज और हास्टल के जीवन में अक्सर कुछ छात्रों और शिक्षकों के 'निक नेम' अथवा 'पेट नाम' प्रसिद्द हो जाते हैं और यह नाम इतना प्रचलित हो जाता है कि लोग मूल नाम जानते ही नहीं । खुशकिस्मत होते हैं वे लोग, जिन्हें ऐसे 'निक नेम' मिलते हैं क्योंकि पूरे बैच में ४ / ६ से अधिक लोगों को यह हासिल नहीं होता ।

उन्हीं खुशकिस्मत लोगों में से मैं भी हुआ करता था ,इंजीनियरिंग कालेज ,इलाहाबाद में । फर्स्ट इयर में मैं इतना सरल और मठ्ठर था कि सीनियर्स मेरी रैगिंग मेरे बैच के छात्रों से ही करवा देते थे । सच बात यह थी कि मैंने कभी पहचानने का प्रयास ही नहीं किया कि कौन सामने है ,बस जो कोई बोले करते रहो, एकदम भारतीय नारी की तरह ,विवाह के बाद ।

उस समय छात्रों के दो गुटों के बीच ( एक जाट ग्रुप और दूसरा बिहारी ग्रुप ) जमकर संघर्ष हुआ करता था । खूब बम कट्टे चले थे । मैं भी अक्सर खूब बम वम की बात करता था । मेरे बैच से ही इंद्र अवस्थी था ,जो हास्टल में मेरी ही विंग में पड़ा रहता भी था और सीनियर्स ( अनूप शुक्ला / फुरसतिया टाइप सीनियर्स ) में लोकप्रिय भी बहुत था । उसने मुझसे बातचीत के दौरान कभी बम वम की बात सुन ली होगी तबसे अक्सर वह मुझे ' बम बम 'कहने लगा । धीरे धीरे यह 'निक नेम' फैलने लगा । बात मेरी विंग से बाहर निकली और अब मैं अमित से हटकर 'बम बम' हो चुका था । मेरे बैच में मेरे ही नाम का एक और अमित था अतः दोनों में फर्क करने में भी अब लोगो को आसान हो गया । लोग खुले आम मुझे 'बम बम' कहने लगे ।

एक वर्ष बीत गया । जूनियर बैच आया । हद तो तब होने लगी जब कोई भी जूनियर जब मिलता तब कहता 'गुड मार्निंग बम बम सर' ,यह सारी खुराफात इंद्र अवस्थी और हाँ बिनोद गुप्ता ( मेरा विंगी और गहरा दोस्त ) की होती थी । शुरू शुरू में तो अजीब सा लगता था परन्तु धीरे धीरे मैं खुद ही अपना मूल नाम भूल गया और जूनियर्स को अपना नाम 'बम बम' बताने लगा । 

चूंकि 'बम बम' बोलना तनिक लयात्मक है तो बिजली वगैरह जाने पर पूरी लय से इसी नाम को गालियाँ भी मिलती थीं । उस समय के चारों हास्टलों में शायद ही कोई होगा जो 'बम बम' को न जानता हो भले ही मुझे न पहचानता हो ।

यहाँ तक कि मेस के कर्मचारी भी आपस में बात करते थे कि 'बम बम' साहब बैठे हैं खाना लगाओ । दरअसल मैंने मेस भी चलाई थी हास्टल में ( वहां मेस हम छात्रों में से ही कोई मैनेजर बन कर मैनेज करता था ) ,दूसरी मेस के लोग अक्सर कहते पाए जाते थे ,'बम बम' की मेस में खा लो अच्छा खाना बना है आज ।

बात यहाँ अभी ख़त्म नहीं हुई । कालेज से निकलने के बाद मेरी शादी जैसे अति पावन अवसर पर मेरे चिरकुट दोस्त मेरे घर आये और निवेदिता ( मेरी पत्नी ) को भी इस नाम से वाकिफ करा दिया । पहले तो वह खूब हंसी ,यह कैसा नाम है ,पर नाम इतना लयात्मक था कि मजा उनको भी आने लगा । अब मैं उनका भी 'बम बम' हो चुका था ।

बात अभी भी ख़त्म नहीं हुई । जब कभी दोस्तों से बात होती तो वे हाल चाल लेते और मेरे बच्चों से बातचीत में उन्हें भी मेरा नाम यही बता दिया । अब दोनों बच्चे भी कभी कभार यही कहकर आनंद लेते हैं और सच तो यह है 'बम बम ' सुनते ही मुझे भी अपने पुराने दिन जिगरी यारों के बीच गुजारे याद आ जाते हैं । 

आज फ़ुरसतिया ने अपने फेसबुक स्टेटस से मुझे याद दिलाते हुए इस नाम पर लिखने को मजबूर कर दिया ।


                           (शिवरात्रि वाले बम बम भोले से इसका कोई लेना देना नहीं )

15 टिप्‍पणियां:

  1. भाई हॉस्टल के दिनों का जवाब नहीं .... वो दिन कुछ और ही थे अब तो वो यादें ही है बस.... बाकी दिन तो फ़ाकता हुए कब के :)| बढ़िया लेखन |

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  2. कुछ यादें कभी ना भुलाई जाने वाली होती हैं।

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  3. फ़ेसबुक पर ये याद दिलाया गया:
    "Amit Kumar Srivastava कहते हैं: "यह 'कट्टा' नामक असलहे का खुले आम प्रदर्शन संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है । 'कट्टा' का प्रयोग आप लोगों को अपना 'स्टेटस' जबरिया लाइक करवाने के लिए धमकाने के लिए करते हैं । यह सरासर आपत्तिजनक है । 'कट्टा फैक्ट्री' की नौकरी का मतलब यह नहीं है कि आप खुलेआम बकैती करें । "

    हमारा कहना है: "हिंदी में श्लेष अलंकार की सुविधा का लाभ उठाते हुये हम कहना चाहेंगे कि कट्टा माने टुकड़ा भी होता है। कौर भी। हमें कानपुर का एक कट्टा, एक टुकड़ा , पूरे खाने में से एक कौर होने से कैसे रोका जा सकता है साहेबान। आज शिवरात्रि है सो बोल बमबम। :) " "


    अच्छा हुआ सबको बता दिया। ठेलुहों की कृपा रही दो नाम मिले।

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  4. बोलो बम बम :)..वैसे बम बम के मेस(किचेन ) का खाना हमने भी खाया है, वाकई लजीज होता है:) हाँ पर उसमें बम बम का कोई हाथ नहीं होता :):).

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    1. आपकी डायरी में मेरे नंबर कभी नहीं बढ़ने वाले हैं .....।

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    2. कोई हाथ भले न हो लेकिन मैनेजर तो बमबम ही हैं। कोई मैनेजर बिना कुछ सब कुछ मैनेज कर रहा है इससे अधिक सफ़ल मैनेजरी क्या होगी?

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    3. Sirf Manager ke kamare par extra "fruit cream" pahunch jaatee thee....

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  5. मुस्कुराहटें लाती हैं ऐसी स्मृतियाँ......

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  6. क्या याद दिला दी हॉस्टल की!!

    बढ़ के बोल बेटा बमबम !
    खिड़की खोल बेटा बमबम!!

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  7. कॉलेज के दिन भी...क्या मस्त हुआ करते हैं...! टीचर्स के निक नेम्स तो और भी मज़ेदार रक्खे जाते हैं... :)
    ~सादर!!!

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