"उनको यह शिकायत है हम कुछ नहीं कहते ,
अपनी तो यह आदत है हम कुछ नहीं कहते |"
चाय कैसी लगी ,पूछा उन्होंने | अरे चाय ख़त्म भी हो गई ,मैंने खाली कप को देखते हुए कहा | तुम्हारी यही आदत खराब है ,कितने भी मन से कुछ भी बना लो ,मगर तारीफ़ के दो बोल कभी नहीं बोलते ,कप उठाते हुए बोली वें | देखो अगर चाय तुमने दिल से बनाई है, और बनाते समय तुम्हारे ख्यालों में मै था,फिर तो चाय को उम्दा होना ही था | और चाय कैसी है ,यह सवाल तो तब उठता है जब चाय अकेले में पी जाय | जब तुम सामने हो तो चाय में तुम्हारा ही अक्स नज़र आता है , और तब चाय भी तुम्ही में घुली घुली सी लगती है |
इतना ही काफी था ,उनके लिए एक और अच्छे दिन की शुरुआत करने को |
कहते हैं , सवेरे सवेरे की पहली चाय आपके पूरे दिन के मूड को तय करती है ,इसलिए दिन की पहली चाय ख़ास अपनों के साथ होनी चाहिए |
चाय की चुस्की के समय आपकी मनःस्थिति, दिन भर की स्थिति।
जवाब देंहटाएंअमित जी बहुत अच्छा ख्याल हे सुबह की चाये....
जवाब देंहटाएंकभी आप बनाईये और भाभी जी को पिलाईये .{pavan gurjar )
प्रिये तुम हमसे दूर न जाओ यू झटक के दमन न छुडाओ !
बहुत हुआ सताना देर न करो प्रिये अब तो गुस्सा भूल जाओ
पवन गुर्जर जी की टिप्पणी से अक्षरश: सहमत हूँ......प्रतीक्षा कर रही हूँ इसके कार्यान्वित होने की :)
जवाब देंहटाएं:)..
जवाब देंहटाएंऔर ख़ास अपना चाय ही नहीं पीता हो तो ?
बड़ों ने सब कुछ कह दिया मैं सिर्फ इतना कहूँगा मज़ा आया पढ़ कर.
जवाब देंहटाएंसादर
ये खूबसूरत बहाने पुराने हुए , बनाइये चाय ... निवेदिता जी को भी ख्यालों में खोने दीजिये
जवाब देंहटाएंवो क्या करे जो खुद ही चाय ना पीता हो
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (28.05.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
बहुत खूब! अच्छा नुस्खा बताया पत्नी को खुश करने का..
जवाब देंहटाएंऔर तब चाय भी तुम्ही में घुली घुली सी लगती है |
जवाब देंहटाएंवाह.....फिर भी आप कहते हैं...
"अपनी तो यह आदत है हम कुछ नहीं कहते |"
बहुत सुंदर यही तो है कुछ सुकून के पल !
जवाब देंहटाएंabsolutely true !!!
जवाब देंहटाएंmorning tea is like an elixir, it has the power to twist the coming hours.
Bahut Badhiya :)
जवाब देंहटाएंkuch nhi kahte phir bhi bhut kuch kah dete hai... bhut khub...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंउनको यह शिकायत है हम कुछ नहीं कहते ,
जवाब देंहटाएंअपनी तो यह आदत है हम कुछ नहीं कहते |"
baat kuchh apni hi lagi yahan ,maja aa gaya padhkar .
चाय तो हम खुद ही बना के पीते है वह भी अकेले नहीं तो दो कप बनानी पड़ेगी ...
जवाब देंहटाएंamit ji
जवाब देंहटाएंwaqai maja aa gaya aapke chay ke naam par mujhe bhi chay ki yaad aagai .abhi jhat se jakar chay banati hun .par shri maan ji to baahar gaye hue hain fir akele hi piungi .chay baht piti hun na ---)
aabhar
poonam
उम्मीद है खुशनुमा मूड की बयार कायम होगी ।
जवाब देंहटाएंसुबह सवेरे का खूबसूरत एहसास :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया मन्त्र मिला भाई साहब !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ,
जवाब देंहटाएंचाय के बहाने बहुत कुछ- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
http://kushkikritiyan.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंMNNIT se B TECH, GOLAGANJ LKO me janm.
mere bete se do baaten milti hain.
uske blog par jarur kuchh salaah den
सुबह की चाय
जवाब देंहटाएंबस अपनों के साथ .... !
ख़याल में ताज़गी तो है !!
subah ki chay wakai achchi chay poorer din bhar taaja rakhataa hai.phir uske saath kisi ka khyaal wah kya baat hai.badhaa sweekaren.
जवाब देंहटाएंplease visit my blog and feel free to comment.thanks
बहुत खूब ... सुबह की पहली चाय और उनकी बातें ...
जवाब देंहटाएंकमाल का लिखा है ... बस यूँ ही ....
बहुत अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंwww.haikudarpan.blogspot.com
wah ji wah...
जवाब देंहटाएंanokha...
http://jokesbysatish.blogspot.com/
waah chai bhi ho gayi,aur unki kuch baatein bhi.
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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