मंगलवार, 25 जनवरी 2011

स्व-शासन से सु-शासन तक

                                                        गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाईयां
             अंग्रेजों के जमाने में अनुशासन बहुत जबरदस्त था,समय की सख्त पाबंदी थी,स्कूलों में शिक्षा का स्तर एवं मूल्यांकन काबिले गौर था,कानून व्यव्स्था सुदॄढ़ थी,रेलवे का नेटवर्क जो वो बिछा गये बस वही है आज तक,तमाम सारी नामचीन इमारतें,शहर,बिजली  परियोजनाएं,डैम सब उनके ही द्वारा या तो निर्मित हैं या डिज़ाइन्ड हैं | यही सब   हम  सबकी जुबानी अक्सर सुना करते हैं ।
               फिर ऐसा क्या चाहिए था कि  हम लोगों ने आज़ादी के लिए तमाम तकलीफें सही ,हज़ारों लाखों जाने कुर्बान की |क्या आवश्यकता थी इस सब की  | लेकिन नहीं, वह थी पीड़ा, कि कोई दूसरा  देश हम पर राज कर रहा है, हमारा अपनी जिंदगियों पर कोई नियंत्रण नहीं था ,गुलाम कहलाते थे हम लोग, सारी दुनिया में | और उस समय के लोगों ने कल्पना की थी कि आजादी के बाद हम अपने ऊपर स्वयं  राज करेंगे और देश और देशवासियों के जीवन  का गुणात्मक विकास करेंगे | फिर ऐसा क्या हुआ कि, हम आज तक  अपने संकल्प में सफल नहीं हुए और गाहे बगाहे अभी भी  अंग्रेजों को याद कर लेते हैं |
                इसका सीधा सा एकमात्र कारण यह है कि हम लोगों ने आजादी का अर्थ  निरंकुशता ,स्वछंदता, निर्भयता समझ लिया  और देश को अपने बाप की जागीर समझ ली | इसका  (स्वराज)  सीधा सा समीकरण कुछ यूँ होना चाहिए  था --सबसे पहले स्व-अनुशासन, फिर सर्व- अनुशासन,  फिर स्व-शासन, और यह अंत में अपने  आप हो  जाता सु-शासन |
                 अगर हम गुड गवर्नेंस की बात करते हैं तो नागरिक के तौर पर हमारी भी जिम्मेदारी बनती है की हम सरकार की नीतियों का, योजनाओं का, खासकर सरकार की मंशा का समर्थन करें और यदि  नेता ,नीति,नीयत किसी पर भी शंका हो तो उसका पुरजोर विरोध करें |
                  बड़े शर्म की बात है, लोग कहते हैं, और सच भी तो है की हमें तो सड़क पर भी  चलना नही आता ,हमारे आचरण से  दूसरे  को क्या तकलीफ हो सकती है  इसका ख्याल करना नही आता | अधिकार क्या हैं हमारे  , इसका खूब भान  है हमें, दायित्वों को जैसे भूले ही रहते हैं | आज हमारे देश की सारी समस्याओं के केवल दो ही समाधान हैं एक जनसंख्या नियंत्रण और दूसरा शतप्रतिशत सभी का शिक्षित होना | सारी समस्याएँ किसी ना किसी प्रकार से इन्ही दो समाधानों से हल हो सकती हैं  | और अंत में, चूँकि हमने डेमोक्रेसी का चयन अपनी मर्जी से किया था तो उसमे निहित मूल्यों को भी संजोना होगा जिसके लिए  यही कहना उचित होगा की मतदान करते समय हम  अपने मत का प्रयोग  देश हित और जनहित में ही  करें |
इस वर्ष से "२५ जनवरी" को  "राष्ट्रीय मतदाता दिवस" के रूप में मनाया जाना घोषित किया गया है |
                            "please cast your vote , don't vote your caste"                                                                                                                                                          
                 

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सार्थक पोस्ट..गणतंत्र दिवस की शुभ कामनायें..

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  2. अधिकार क्या हैं हमारे , इसका खूब भान है हमें, दायित्वों को जैसे भूले ही रहते हैं | ... bilkul sahi... gantantra diwas ki shubhkamnayen

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  3. ज्‍यादातर लोग कहते हैं कि वे ऐसा ही (मतदान करते समय अपने मत का प्रयोग देश हित और जनहित में ही करें) करते हैं, हम मानते हैं कि वे सही कहते हैं.

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  4. सार्थक पोस्ट .... गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें

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  5. आजादी कों सही मायनों में समझना होगा , सम्मान करना होगा और इस आजादी का सच्चे अर्थों में प्रयोग करते हुए देश कों विकासोन्मुख करना होगा।

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  6. .
    हमारे नेता जी कहते हैं कि अपनी जाति के हित और स्वार्थ साधन इत्यादि देशहित और जनहित की पहली पायदान हैं ।
    कहीं आप ही उल्टी सीख तो नहीं दे रहे हैं ?
    :)

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  7. एक जनसंख्या नियंत्रण और दूसरा शतप्रतिशत सभी का शिक्षित होना.
    आपके बताये ये कारण महत्वपूर्ण होते हुए भी अधूरे से लगते हैं क्योंकि भ्रष्टाचार व कामचोरी जैसे लालच के जिस मकडजाल में स्वतंत्रता के वास्तविक उद्देश्य अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रहे है वे सभी भ्रष्ट व कामचोर लोग अधिकांशतः उच्चशिक्षित वर्ग में से ही आते हैं ।

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  8. लिंक टूट जाने के लिये क्षमा.
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  9. @आदरणीय़ बाकलीवाल साहब, यदि आबादी अवसरों के अनुपात में उचित हो एवं लगभग सभी लोग शिक्षित हो तो शायद ये उच्च शिक्षित लोग ऐसा आचरण ना कर पाएं । आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।

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  10. आजादी के अर्थ को समझने में कितना समय लगेगा |बहुत जरुरी आलेख हमारी आँखें खोलने में सक्षम,

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  11. असल में नेता क्या हम भी आजादी के मायने भूल गए हैं

    गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएं

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