आफिस में आये एक आगंतुक के मोबाइल की घंटी बजी तो सहसा मेज पर मेरे सामने ही रखे उनके मोबाइल के स्क्रीन पर मेरी नज़र पड़ी तो देखा उस पर लिख कर आ रहा था ,'कबूतर कालिंग' | उनकी बात खत्म होने के बाद मैने कौतूहलवश पूछा ,यह कबूतर नाम क्या हुआ | उसने बताया ,अरे कुछ नहीं ,बस वह बातें ज्यादा करता रहता है ,गुटुर गूँ ,गुटुर गूँ की तरह ,बस उसका नाम कबूतर फीड कर लिया | कबूतर लिखा देख कर तुरंत ध्यान आ जाता है कि उससे बात जल्दी खत्म करनी है नहीं तो बहुत समय खराब हो जायेगा |
यह बिल्कुल सच बात है कि अब लोग अपने मोबाइल की 'कॉन्टैक्ट लिस्ट' में लोगों के नंबर उनके नाम से कम उनके आचरण / व्यवहार के आधार पर अधिक रखते हैं | अगर आपको अपने विषय में जानकारी लेना हो कि आपके विषय में लोग क्या और कैसा सोचते हैं तो फौरन मौका पाते ही दूसरों के मोबाइल में आपका नाम किस तरह से संजोया गया है ,यह जानने की आवश्यकता है | मौका पाते ही उसके मोबाइल को अपने हाथ में लेकर अपने मोबाइल से रिंग करें और देखें कहीं आपका नाम 'खडूस' / 'बोर' / 'चालू' / 'कंजूस' इत्यादि तो नहीं लिखा आ रहा है |
सबसे सीधा तरीका तो यही है कि जिसका नंबर फीड करना हो उसका ईमानदारी से पूरा नाम लिखा जाना चाहिये परंतु अधिकतर लोग यही चाहते हैं कि मोबाइल पर काल आने के साथ ही काल करने वाले व्यक्ति की सही मनोदशा भी तुरंत सामने आ जाये जिससे उसी के अनुसार उससे बात की जाये | बस इसी के चक्कर में लोग व्यक्ति के आचरण / व्यवहार के अनुसार नाम बदल कर फीड कर लेते हैं | कुछ लोग परिचय छिपाने के उद्देश्य से भी नाम बदल कर फीड करते हैं जिससे कि मोबाइल किसी और के हाथ लगने पर किसी के विषय में अनावश्यक जानकारी न हो जाये | एक साहब ने अपने किसी 'खास मित्र' के नाम के स्थान पर 'मिस्ड' लिखा हुआ था ,काल आने पर 'मिस्ड कालिंग' लिख कर आता था ,अटेंड कर लिया तो ठीक अन्यथा 'मिस्ड काल' स्क्रीन पर दिखता रहता था ,किसी के समझ से भी बाहर होगी यह बात |
ऐसे विभाग की सेवा में हूँ कि प्रायः लोगों ने मौके बे मौके रात बिरात तंग भी किया और उलूल जुलूल भी सुनाया ,ऐसे में उनके नंबर के आगे NU लिख देता था और भविष्य में कभी उनका फोन नहीं उठाया (NU)। यह तब की बात है जब अटेंड करने के भी पैसे देने पड़ते थे । विभागीय फोन होने के कारण बंद नहीं कर सकता था । अब तो ऐसे लोगों से बचने के अनेक फीचर्स भी आ गए हैं ।
प्रेमी / प्रेमिका आपस में किस तरह से एक दूसरे का नाम फीड करते हैं ,देखकर विश्लेषण किया जाये तो बहुत कुछ सच सामने आ सकता है | जो साफ़ साफ़ नाम लिखेगा वह सच्चा होगा | जो छिपा कर लिखता है वह अवश्य कुछ न कुछ छिपा ले जाता है सारी दुनिया से भी और अपने प्रेमी / प्रेमिका से भी |
बच्चे अपने माँ-बाप का नाम अपने फोन में किस प्रकार फीड करते हैं ,यह उनके आपस के सम्बंध को बखूबी दर्शाता है | कुछ बच्चे अपने पिता के नाम को 'मुगले-आज़म' भी लिख कर रखते हैं | कुछ 'बिग बॉस' ,तो कुछ 'थर्ड आई' भी लिखते हैं |
अब जबसे 'व्हाट्सएप' आया एक समस्या और हो गई ,अगर किसी नें किसी दोस्त का नाम किसी अन्य नाम से फीड कर रखा है मसलन अपने किसी 'खास दोस्त' का नाम 'बसंत' लिख कर फीड किया है और जैसे ही बसंत जी 'व्हाट्सएप' पर आये उनकी फोटो यहाँ दिख गई और 'बसंत' के नाम पर फोटो असली वाली 'बसंती' की आ गई | तो दोस्तों थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता है ,बताना मेरा फ़र्ज़ था ,बाकी आप सब स्वयम् समझदार हैं |
उपर चित्र में दर्शित मोबाइल निवेदिता का है जिसमें मेरा मोबाइल नंबर और आफिस का नंबर किस प्रकार से दर्ज़ है आप स्वयम् देख सकते हैं | ('बप्पा' मतलब 'बच्चों' के 'पप्पा' )
बाकी बातें बाद मे .... सब से पहले तो यह बताइये आप ने भाभी जी का मोबाइल उठाया ही काहे ... अच्छा उठाया तो उठाया ... पूरी जासूसी भी कर ली ... अच्छा जासूसी की तो की ... उस का फोटो भी ले लिए ... अच्छा फोटो लिए तो लिए ... उस को पोस्ट पर भी लगा दिया ... जे बात ठीक नहीं है !!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा
जवाब देंहटाएंहाहाहा! बहुत सही बात है और कई लोग ऐसा करते भी है। अच्छा लगा पढ़ कर!
जवाब देंहटाएंऐसा भी होता है...अपने मोबाइल में तो क्रिएटिविटी कर ही सकते हैं....
जवाब देंहटाएंअत्याधुनिक ज्ञान वर्धक आलेख ..
जवाब देंहटाएंWhy this Bappa veri di.
जवाब देंहटाएं'बप्पा' मतलब 'बच्चों' के 'पप्पा' |
हटाएंhaha....bahut sahi likha hai sir....superb observations :-)
जवाब देंहटाएंएक का नाम लिखा था, 'अजीब दास्तां' है यह। बाद में आवश्यता नहीं पड़ी, उसका स्थानान्तरण हो गया।
जवाब देंहटाएंमै आज से ही जानने के लिए दूसरों के मोबाइलों की ताका झाकी शुरू कर देता हूँ ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - आँसुओं की कीमत.
:) Ab sochengen is bare main....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (23-02-2014) को " विदा कितने सांसद होंगे असल में" (चर्चा मंच-1532) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब..मजेदार प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंरोचक ......सुन्दर ......
जवाब देंहटाएंटमाटर,कैन और अंगूर जैसे नाम कभी मेरे भी मोबाइल मे हुआ करते थे :)
जवाब देंहटाएंसादर
बड़े राज़ खोल दिए आपने !
जवाब देंहटाएंरोचक !
बहुत खूब..मजेदार प्रस्तुति।।।पढ़ते पढ़ते आनंद आ गया जी
जवाब देंहटाएंआग्रह है-- हमारे ब्लॉग पर भी पधारे
शब्दों की मुस्कुराहट पर ...खुशकिस्मत हूँ मैं एक मुलाकात मृदुला प्रधान जी से
superrrr se bahot uparrr..... what an idea sir ji... hahahaha
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