देखा है मैंने ,
अक्सर लब तुम्हारे ,
कुछ कहने से पहले ,
हो जाते हैं आड़े तिरछे,
शायद ये लब ,
करते है पहले ,
तितर बितर होते ,
लफ़्ज़ों को तरतीब में ,
फिर टांकते चलते है ,
कतरा दर कतरा ,
अपनी नज़्म सी नालिश ,
मेरे सीने पर ,
इस बेतरतीबी की ,
तरतीबी में यूँ ,
लबों की नुमाइश ,
अच्छी नहीं होती ,
कोई जरूरी तो नहीं ,
मोहब्बत में हर वक्त ,
हो पैमाइश लफ़्ज़ों की ,
उनकी पैदाइश से पहले ,
मेरी तो आज भी ,
ख्वाहिश बस वही ,
जब भी हो ,
पहलू में तुम ,
न हो नुमाइश ,
लफ़्ज़ों की ,
न हो पैमाइश ,
मानी की । ('मानी' - 'मायने' )
"लबों पर जब भी जुम्बिश हो तो बस एक 'तबस्सुम' ठहर जाए"
न हो नुमाईश लफ़्ज़ों की.…
जवाब देंहटाएंमन से मन को राह होती है सब कहते हैं !
इस बेतरतीबी की ,
जवाब देंहटाएंतरतीबी में यूँ ,
लबों की नुमाइश ,
अच्छी नहीं होती ,
***
मौन कहता है सबकुछ...!
इस बेतरतीबी की ,
जवाब देंहटाएंतरतीबी में यूँ ,
लबों की नुमाइश ,
अच्छी नहीं होती ,
सुंदर सृजन लाजबाब प्रस्तुति,,,
RECENT POST : सुलझाया नही जाता.
अपनी नज़्म सी नालिश ,
जवाब देंहटाएंमेरे सीने पर ..... khoobsoorat prastuti
बहुत ही सुंदर लाजबाब प्रस्तुती, आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी सी नज़्म है... मुस्कुराने को दिल करता रहा पढ़ते हुए...
जवाब देंहटाएंwaaaaaah...khooobsurat!!!! :)
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएं-----------------------
कल 21/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
bahut sundar sir:-)
जवाब देंहटाएंमौन तरंगो का जब दिल पे प्रहार होगा
जवाब देंहटाएंलबो का आयाम क्या आभास होगा…
सुन्दर प्रस्तुति
बेहतरीन .सुन्दर अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाईयां.रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंइतने सूक्ष्म अवलोकन को इतनी सुन्दरता से सहेजना कोई आपसे सीखे।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत नज़्म
जवाब देंहटाएं