शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

" जी मेल कैसे हो .........."


कभी कभी किसी से पहली मुलाकात में ही कुछ यूँ लगता है जैसे उसे सदियों से जानते हों या सदियों पुराना उससे कोई रिश्ता हो और कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें बरसों से जानते हैं फिर भी उनसे बात करने में हमेशा अजनबीपन लगता है ।

इसी को शायद ट्यूनिंग , मेंटल कॉम्पैटिबिलीटी या इम्पीडेंस मैचिंग कहते हैं । वैसे अगर एक दूसरे को थोडा समझ कर दिल से महसूस करने की कोशिश की जाए तो बात अक्सर बन सकती है पर अधिकतर हम एक दूसरे की छोटी सी बात को भी इग्नोर नहीं कर पाते और दिल मिलते मिलते बेमेल हो जाते हैं ।

आज के युग में आपस में संवाद तो 'जीमेल' से प्रति क्षण होता रहता है परन्तु 'जी' का मेल कभी नहीं हो पाता ।बेहतर होता कभी हम आपस में जी का भी मेल करा पाते ।

सच्चा प्यार हो, तब तो बिना कुछ कहे ही आपस में दो लोग एक दूसरे की बात सुन और समझ लेते हैं या यह कहा जा सकता है कि दोनों के बीच जी का मेल इतना जबरदस्त होता है कि दोनों एक दूसरे को महसूस करते हुए एक दूसरे के पूरक बन जाते हैं । 

मुझसे भी कभी किसी ने कहा था , अरे कभी कभी मेल वेल कर दिया करो , मैंने पूछ लिया था किस पर ? इस पर वे बोले थे अरे ,जी मेल कर देना । मैं ठहरा अनाड़ी , मैंने सोचा इतना प्यार करते हैं मुझसे, और मेल पर मेरा 'जी' ही मांग रहे हैं ।

और यह बात ठीक भी तो है , अगर सच में कोई याद आ रहा हो तब बस अगर इतना मान लें कि उसका जी आपके निकट है और आपका जी उसके पास है तब तनिक भी ऐसा एहसास नहीं होता कि आपका प्रिय आपके समीप नहीं है ।

'जीमेल' करने से ज्यादा उत्तम है 'जी' का मेल करना और जब जी का मेल हो जाता है तब अपने प्रिय के पास जी तो अपने आप ही मेल हो जाता है ।

"अंग्रेजी शब्दों का चयन कर उनसे हिंदी अर्थ निकालने का उद्देश्य मात्र संवेदनहीन होते रिश्तों में संवेदना भरना ही है ,G Mail से पहले जी का मेल हो बस "

17 टिप्‍पणियां:

  1. जी का मेल हो बस .......

    आजकल जी मिले न मिले ...जीमेल ज़रूर दिखता है.....

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  2. मेल के जी के साथ न जाने कितने बड़े बड़े एचैटमेन्ट जो जुड़े रहते हैं, एक बार में जी मेल हो पाता ही कहाँ है।

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    1. सच कहा आपने, सारी समस्या तो 'जी' से चिपके 'अटैचमेंट' की ही है ।

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  3. जी का मेल हो जाए तो जी मेल की ज़रूरत कहाँ रह जाती है :) रोचक

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  4. बहुत खूब . सुन्दर प्रस्तुति .आभार आपका

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  5. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (9-2-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  6. एक बौछार था वो शख्स - ब्लॉग बुलेटिन ग़ज़ल सम्राट स्व॰ जगजीत सिंह साहब को समर्पित आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. जीमेल' करने से ज्यादा उत्तम है 'जी' का मेल करना और जब जी का मेल हो जाता है तब अपने प्रिय के पास जी तो अपने आप ही मेल हो जाता है....बि‍ल्‍कुल सही कहा आपने

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  8. दिनांक 10/02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  9. अंग्रेजी हिंदी मिक्स बढ़िया चिंतन है :).

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  10. very innovative presentation liked it :-) g-ke mel se g-mail ka safar ....interesting!!

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