शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

" हमारे यहाँ सातवाँ कब आयेगा......."


सातवाँ बहुत खूबसूरत है | महंगा तो अवश्य है ,परन्तु है, सब से हटकर | उसको लेने वाले भी अलग से दिखते हैं | मुझे लाइन में लग कर यह कहने में ही हीनता हो रही थी कि मेरा तो अभी तीसरा ही है | मैं शक्ल से दीन हीन तो लगता ही हूँ ,मेरे साथ मेरा सिलंडर भी शर्माते हुए जमीन में धंसा जा रहा था | सातवें और उससे अधिक वालों की लाइन एकदम अलग | उस काउंटर पर बैठा आदमी भी एकदम फ्रेश और दुरुस्त | फटाफट नए नोट कडकडाते हुए मुट्ठी में दबोच रहा था और सातवाँ जारी पर जारी किये जा रहा था | सातवाँ सिलंडर भी खुद ब खुद चलकर लुढ़कता हुआ गाड़ियों की डिक्की में दुबकने को तत्पर था | हम थे कि सिलंडर पर कम, बचे पैसों की चिल्लर पर ज्यादा ध्यान लगाए थे कि इस मारामारी में इस लाइन के काउंटर पर बैठा मैला कुचैला सा आदमी हमारी बची चिल्लर न दाब जाए | 

खैर सिलंडर जो हमें मिला ,वह भी तीन जगह से पिचका सा था जैसे बिना मन से तीसरा बन कर जा रहा हो | अब तो हर सिलंडर सातवाँ बनना चाहता है बस | महंगा बिकने का मजा ही कुछ और है ,चाहे वह हीरो हो , हीरोइन हो , क्रिकेटर हो या हो, लीक हुआ पर्चा किसी प्रतियोगी परीक्षा का | मेरी गैस सिलंडर की किताब को देखकर काउंटर वाला आदमी बोला , तुम्हारा तो सातवें का नंबर ही नहीं आयेगा कभी | महीने में पंद्रह दीन फांका रखते हो क्या ! मैंने कहा अरे नहीं भाई , थोड़ा किफायती हैं और थोड़ा कंजूस भी | 

सुना है, जिनके यहाँ सातवाँ पहुँच गया है उनके यहाँ उस पर बनी चाय का जायका भी बहुत शानदार है | विद्वान लोग , मेरे जैसों को छोड़कर , चाय सूंघ कर ही बता देते हैं कि चाय सातवें पर बनी है | पिलाने वाला भी बहुत गर्मजोशी के साथ यह कह कर पिलाता है कि लीजिये साहब यह चाय सातवीं पर बनी है | जैसे पहले कभी जब लोग मोबाइल पर किसी से बात करते थे,तो छूटते ही पहले यह जरूर बताते थे कि मोबाइल से बोल रहा हूँ |

सरकार को एक काम यह भी करना चाहिए ,गैस का सिलंडर ट्रांसपैरेंट बनवा दें और उसमें दवा की शीशी की तरह दिनों के हिसाब से ६० दिन के लिए बराबर बराबर निशान लगा दें | थोड़ा मुश्किल जरूर है क्योंकि सिलंडर के अन्दर गैस तो द्रव की शक्ल में होती है और उसका आकार और आयतन बदलता रहता है फिर भी बाहर से दिखेगा तो आदमी उसी हिसाब से खाना पकाएगा और समय रहते ही फांका मार एक दो दिन गैस को बचाने की  कोशिश भी करेगा |   

समाज के वर्गीकरण का एक नया आधार मिल गया अब | वार्षिक आमदनी की बजाय अब सिलिंडर की वार्षिक खपत के आधार पर वजीफा , बेरोजगारी भत्ता ,रेल किराए में छूट , गाँवों में इंदिरा आवास , पेशन आदि योजनायें लागू की जायेंगी | 

                सातवें की तो बात ही कुछ और है | हमारे यहाँ सातवाँ कब आएगा .......पता नहीं |

13 टिप्‍पणियां:

  1. सातवें की गैस भी दमदार होगी..चाय भी कड़क बनेगी।

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  2. सातवें की बात ही कुछ और है... सात आसमान होते हैं... सात समुन्दर होते हैं... उसी तर्ज़ पर सातवें सिलिंडर का महत्त्व भी बढ़ जाता है...

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  3. हा हा हा हा ....हास्य और व्यंग्य .....बहुत खूबसूरत तालमेल

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  4. हा हा , ये सातवां , अब सातों करम करवाएगा तब जाके दर्शन सुलभ होगा . वैसे ये आईडिया बहुते अच्छा है , पारदर्शी सिलिंडर वाला . लगे हाथ भेज दीजिये पेट्रोलियम मंत्रालय को .:)

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  5. समाज के वर्गीकरण का एक नया आधार मिल गया. कितनी कडवी बात इतनी सहजता से कह डाली. आभार.

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  6. उम्मीद बनाये रखें १२ करने पर विचार चल रहा चेहरे पर लगी कोयले की कालिख और विकलांगों की बददुओं से रक्ष हो सके

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  7. अमित भाई बहुत समय के बाद इतना धारदार व्यंग्य विनोद ,तंज़ पढने को मिला .मन सातवाँ सिलिंडर सा हो गया .

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  8. सातवें की लाइन में चुस्त दुरुस्त कर्मचारी .... तीसरा पिचका सा सिलेण्डर .... सातवें पर बनी है चाय :):) बहुत बढ़िया व्यंग्य

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  9. :-)
    ये दिल की लगी है...दिल्लगी नहीं..........
    हॉट प्लेट लेंगें...माइक्रोवेव पे पकाएंगे...मगर कसम से सातवां नहीं लायेंगे.

    सादर
    अनु

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  10. वैरी सिंपल है सरजी, सातवां आयेगा छ्ट्ठे के बाद:) कांग्रेस की सरकार होती तो फ़िर दसवें की इतनी वैल्यू होती।

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  11. हमारे यहाँ तो दसवां है ....
    तीन असम सरकार दे रही है .....

    इसलिए आपको सात फेरे मुबारक .....:))

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  12. हा हा हा .अरे गज़ब ..यह सांतवा तो जहाँ जायेगा उसे सांतवे आस्मां पे होने का अहसास कराएगा.
    जबर्दास्त्त व्यंग है.

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