रविवार, 12 मई 2013

मेरे हर शब्द की प्रतिध्वनि में तुम हो ............"माँ "


15 टिप्‍पणियां:

  1. सच में माँ ही प्रतिध्वनित होती है हमारे हर शब्द में

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  2. पूरे पृष्ठ में 'माँ' की प्रतिध्वनि समा गई है !

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  3. माँ का मतलब अवर्णनीय तरीके से प्रस्तुत किया है आपने...

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  4. आपका कविता समुच्चय भावपूर्ण और अनुभव से भरा है। कोमल भावों को भी शब्दों का प्रकर आश्रय चाहिये।

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  5. बहुत सुन्दर रचना ...मातृत्व दिवस की बधाई 

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  6. नमस्कार !
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (13-05-2013) के माँ के लिए गुज़ारिश :चर्चा मंच 1243 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
    सूचनार्थ |

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  7. कण-कण में माँ समाई ...
    तभी तो बन श्रद्धा लेखनी में उतर आई है
    अनुपम भाव संयोजन

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  8. अमित जी! क्या कहें..... निःशब्द हैं हम...
    पूरा जीवन-चक्र आँखों के आगे घूम गया... जिसकी धुरी है माँ...~बहुत सुंदर लिखा है!
    ~सादर!!!

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  9. बहुत प्यारी पोस्ट.....
    जाने कैसे देर हुई....आज अखबार में इसका ज़िक्र देखा तो लगा हमारी उपस्थिति तो यहाँ दर्ज़ ही नहीं है....
    बच्चों की माँ को शुभकामनाएं दीजियेगा.
    सादर
    अनु

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