सोमवार, 18 मार्च 2013

" रात का एक पहर ,आँखों में ........."



रात सो रही है ,
पर नींद जाग रही है ,


ख़्वाब बुन रहे हैं ,
पर ख्याल उधड़ रहे हैं ,

कोई रात को जगा कर ,
मेरी नींद को सुला दे ,

पलकों में जाने कितने ,
बोझ पल रहे हैं ,
जब दुनिया जागती होगी,
सो जायेंगे एक दिन हम ,
पुकारा करेंगे 'वो' सब ,
न मुस्करायेंगे हम ।

18 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन में सब रंग है.... जीने भी हमें ही होते हैं

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  2. गहन मन के भाव ..!!
    शाश्वत सत्य से रू-ब-रू करती कविता ...!!

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  3. मुश्किलों से भाग कर कहाँ तक जाओगे ?

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  4. वैसे तो किसी रचना के पीछे का भाव खुद रचनाकार ही जानता है...बाकी लोग तो अपनी समझ समझते हैं..!
    हमें ये रचना कुछ उदास सी लगी...और पहली बार आपकी रचना में दिखी...~ अगर हम सही हैं... तो उम्मीद है, आप जल्द ही इस उदासी से बाहर निकल आएँगे..... और हमेशा की तरह मुस्कुराहट बिखेरेंगे... :-)
    सुंदर अभिव्यक्ति!
    ~सादर!!!

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  5. बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार

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  6. बढ़िया प्रस्तुति है आदरणीय |
    शुभकामनायें स्वीकारें ||

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  7. उदासी भी जिंदगी का ही एक रंग है,बहुत ही उम्दा प्रस्तुति.

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  8. आखिर जाना है एक दिन
    हम चले जायेंगे एक दिन
    जीवन का परम सत्य भी यही है... गहन भाव... शुभकामनायें

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  9. रात का प्रथम पहर,
    बड़ा डराता है,
    जब तक नींद नहीं ले आता है।

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  10. पुकारा करेंगे 'वो' सब ,
    न मुस्करायेंगे हम ।

    बहुत सुन्दर...
    लेकिन मुस्कारा के बधाई स्वीकार करें....

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  11. सुंदर भावनायें और शब्द भी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena69.blogspot.in/

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  12. नींद न आने पर ख्याल आते ही हैं ..पर ये उदासी भरे क्यों?

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  13. amit ji udasi ki sundar abhivyakti ...aapke kalam se shabd yu jharte hain jaise kisi haseen ke gaalo se gulab :-)

    मेरी नई कविता पर आपकी उपस्थिति चाहती हूँ Os ki boond: सिलवटें ....

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  14. ख़्वाब बुन रहे हैं ,
    पर ख्याल उधड़ रहे

    उधड़े ख्यालों से ही तो ख्वाब बुन जाते हैं

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  15. सब जागते होंगे सो तो जाना ही है एक दिन... शाश्वत नियम. भावपूर्ण रचना, बधाई.

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