गुरुवार, 31 मई 2012

" अलिखित से लिखित......."


अधूरा चित्र सा,
ही तो था मैं ,
कुछ उकेरा सा,
और कुछ धुंधला सा ,
वो तो ,
उंगलियाँ थीं तुम्हारी,
जो जब छूती थीं ,
मुझको अक्सर,
मैं पूर्ण होने को,
हो जाता था तत्पर,
उस छुवन में रोमांच था,
और कुछ रोमांस भी,
धीरे धीरे,
चित्र मेरा होता गया ,
अलिखित से लिखित ,
अक्स मेरा जब ,
लिपटने लगा ,
तुम्हारे ही नाम से,
शरमा उठीं तुम और ,
लाल मेरे होंठ हो गए,
अब इतनी सी,
ख्वाहिश बस और है,
अपनी आँखों का नील,
भर दो मेरी आँखों में,
फिर थाम कर,
अपनी बाहों में,
कर दो मुझे मुक्त ,
इस कैनवस की दुनिया से |

21 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम भरकर चित्र में कुछ, उसे अब तो मुक्त कर दो।

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  2. इस रंग से ही पूर्ण हो जाता है हर केनवास का अधूरा चित्र और जीवंत हो उठता है .... सुन्दर अभिव्यक्ति

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  3. इस रंग से ही पूर्ण हो जाता है हर केनवास का अधूरा चित्र और जीवंत हो उठता है .... सुन्दर अभिव्यक्ति

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  4. एहसासों को अपने शब्द देकर जिवंत कर दिया आपने.....

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  5. अधूरे चित्र में रंग भरे एहसासों के ...
    अलिखित से लिखित कविता तो हो ही गयी !
    बहुत बढ़िया !

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  6. अपनी आँखों का नील,
    भर दो मेरी आँखों में,
    फिर थाम कर,
    अपनी बाहों में,
    कर दो मुझे मुक्त ,
    इस कैनवस की दुनिया से |

    very touching lines...

    .

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  7. फिर थाम कर,
    अपनी बाहों में,
    कर दो मुझे मुक्त ,
    इस कैनवस की दुनिया से |....अनुपम रंगों का एक खुबसूरत अहसास...्बहुत सुन्दर...अमित जी मेरे ब्लांग पर आने के लिए आभार...

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  8. बहुत खूबसूरत अहसास संजोती प्रस्तुति .....सुन्दर !

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  9. वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  10. अपनी आँखों का नील,
    भर दो मेरी आँखों में,
    फिर थाम कर,
    अपनी बाहों में,
    कर दो मुझे मुक्त ,
    इस कैनवस की दुनिया से

    कैनवास में प्यार के रंग भर उसे जीवंत कर दिया आपने
    काफी सुंदर रचना
    बधाई ... साभार !!

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  11. बहुत ख़ूबसूरत अहसास....बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...

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  12. bahut alag tarah ka thought ..alikhit se likhit..." vichar bhi aur prastuti bhi ....वो तो ,
    उंगलियाँ थीं तुम्हारी,
    जो जब छूती थीं ,
    मुझको अक्सर,
    मैं पूर्ण होने को,
    हो जाता था तत्पर,
    उस छुवन में रोमांच था,
    और कुछ रोमांस भी, bahut khoobsurat :-)

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