शनिवार, 23 अक्तूबर 2021

सोचता हूँ अक्सर।

 सरकारी कर्मचारी ,अधिकारी को हर दस्तखत करने से पहले यह सोचना चाहिए कि जिस विभाग में वह नौकरी कर रहा है, उसका मूल उद्देश्य और लक्ष्य क्या है,  उसके उस किये जाने वाले दस्तखत से व्यक्तिविशेष अथवा विभाग के उद्देश्य पर क्या असर अथवा फर्क होगा।

बिजली विभाग उपभोक्ताओं की सेवा के लिए है। उस दस्तखत से अगर उपभोक्ता हित में कोई फर्क नही पड़ रहा अथवा लाभ नही हो रहा है तब वो दस्तखत व्यर्थ और स्याही का अपव्यय ही है।

परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से हर निर्णय अथवा निर्णय की पहल से विभाग का उद्देश्य ही सिद्ध होना चाहिए तभी विभाग का मानसिक विकास सम्भव है।

सरकारी नौकरी एक अमूल्य अवसर की प्राप्ति होती है, जिसमे होते हुए एक छोटा से छोटा कर्मचारी बहुत बड़े निर्णय अथवा छवि बनाने में अपना योगदान दे सकता है।

इन कार्मिकों के परिवारों का भी दायित्व है कि अगर कार्मिक समय से आफिस न जाता हो या समय से पहले ऑफिस से घर आ जाता हो तो उसे टोका जाना चाहिए। 

होता जबकि इसके विपरीत है , परिवार के लोग बड़े उत्साह से उसकी तारीफ करते है कि ये तो आराम से दफ्तर जाते और जल्दी आ जाते है , बड़े अफसर है कोई पूछता नही।

देश के विकास और प्रगति में उस महिला का भी योगदान है जो अपने पति को आफिस के लिए अनुशासित करती है और दूसरों को देख कोई अनुचित अपेक्षा नही करती है।

8 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24 -10-21) को "मंगल बेला"(चर्चा अंक4227) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. बहुत सार्थक और प्रेरणा दिया पोस्ट, एक अच्छे जिम्मेदार नागरिक का धर्म।
    बहुत सटीक।

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  3. बहुत सही कहा अमित जी,सभी लोग ऐसा करें तो कहीं कोई मुश्किल नहीं है लेकिन लोग अक्सर ऐसा नहीं सोचते इसलिये नौकरी के प्रति ईमानदारी भी नहीं रख पाते.

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  4. कृतज्ञता और अपव्‍यय पर बहुत अच्‍छे व‍िचार रखे आपने अम‍ित जी। साधुवाद

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