रविवार, 10 अक्तूबर 2021

ऑटोग्राफ

"ऑटोग्राफ "
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"यहाँ साइन कर दीजिए", शीशे के पीछे बैठी महिला ने फॉर्म आगे बढ़ाते हुये बोला। 

रेयान पासपोर्ट रिन्यूअल के लिये काफी देर से लाइन में लगा था और लाइन में लगे लगे मोबाइल पर आफिस की मेल इत्यादि भी चेक करता जा रहा था। लाइन में आगे बढ़ते बढ़ते कब काउंटर पर पहुंच गया ध्यान ही नही रहा।

काउंटर पर बैठी महिला ने फॉर्म फड़फड़ाते हुये जब जोर से बोला साइन करने को तब रेयान का ध्यान उस ओर गया। उसने फॉर्म लिया और साइन कर वापस उस महिला को दे दिया। 

महिला ने फॉर्म चेक किया और पूरा विवरण पढ़ने के बाद एक हाथ मे कलम पकड़े पकड़े दूसरे हाथ से अपने माथे पर आ गए बालों की लट को पीछे करते हुए अपनी कुर्सी पर  टिक कर हल्की मुस्कुराहट के साथ रेयान से बोली," तुम आज भी साइन करने में वैसे ही कंजूस हो, छोड़ दिया न एक साइन।"

रेयान जो अभी तक मोबाइल में पूरी तरह व्यस्त था और महज औपचारिकता के लिये काउंटर पर खड़ा था, कुछ अलग सी बात सुनकर चौंक गया और सामने गौर से देखने लगा।

पंद्रह सालों बाद सामने वरालिका को बैठा देख रेयान सहसा विस्मित हो गया और एक सिहरन सी दौड़ गई। संयत होते हुए बोला, "वारा तुम यहाँ , अरे वाह, इतने सालों बाद भी वैसी ही दिख रही हो।"

वरालिका केबिन से निकल कर बाहर आ गई और रेयान को साथ लेकर रिसेप्शन में पड़े सोफे की तरफ ले जाते हुए बोली, "चलो कॉफी पीते है साथ मे जो अभी भी अधूरी है तब से।"

सोफे पर बैठते हुए वरालिका ने एक सांस में बोल दिया ,"मैं कॉलेज से निकल दिल्ली चली गई सिविल सर्विसेज की कोचिंग में। प्रॉपर में तो चयन नही हुआ पर पासपोर्ट अफसर बन गई और अपने ही एक कलीग से शादी भी कर ली। आज एक स्टाफ एब्सेंट है तो मैं ही बैठ गई कस्टमर डीलिंग काउंटर पर।"

रेयान तो उसे बेबाकी से बोलते देखे भी जा रहा था और  कॉलेज का आखिरी दिन याद कर रहा था, जब सारे लड़के लड़कियां एक दूसरे से मिल रहे थे ,अड्रेस और ग्रीटिंग्स शेयर कर रहे थे। 

रेयान की मेकैनिकल ब्रांच में बस दो ही लड़कियां थी वरालिका और अंजली , दोनो ही पूरे बैच की आंखों का तारा हुआ करती थी। वर्कशॉप हो, लैब हो या लाइब्रेरी हो सभी जगह लड़के इन दोनों का साथ पाने के चक्कर मे रहते थे। रेयान जिसे चारो वर्ष स्कॉलरशिप मिलती थी और पढ़ने में अच्छा होने के साथ साथ बहुत ही इंट्रोवर्ट भी था। चार सालों में कभी भी उसकी इन दोनों लड़कियों से कोई बात नही हुई थी। 

वरालिका चाह कर भी उससे बात करने की हिम्मत नही जुटा पाई थी कभी भी क्लास में। 
 
कॉलेज के आखिरी दिन जब सब एक दूसरे से विदा ले रहे थे, तब रेयान लाइब्रेरी में बुक्स वापस कर रहा था , तभी वरालिका उसके पास ऑटोग्राफ बुक लेकर गई थी और बोला था, "कुछ लिख दो इस पर।"

रेयान ने बड़े शुष्क शब्दों में जवाब दिया था," चार सालों में कभी तुमसे मेरी कोई बात नही हुई, कोई फीलिंग ही नही है मेरे मन मे , क्या लिख दूं ऐसे कुछ भी।"

"अच्छा सिर्फ साइन ही कर दो और कैंटीन चलते हैं साथ कॉफी पियेंगे", बोला था वरालिका ने।

मगर रेयान तो पढ़ाकू कीड़ा था ,कोई फीलिंग्स कभी आई ही नही उसके मन मे ,ऐसी दोस्ती या चाहत की तो साइन करना भी उसके लिए बेमानी था। मना कर दिया था उसने उस दिन वारालिका को ऑटोग्राफ देने से और कॉफी के लिये भी।

कॉफी खत्म होने को थी और रेयान अभी भी पुराने दिनों की याद में खो सा गया था। वरालिका ने धीरे से कहा," उस दिन साइन दे दिया होता तो तुम्हे आज यहां साइन करने न आना पड़ता शायद।"

खैर दोनो ने अपनी अपनी कॉलेज के बाद की ज़िंदगी के किस्से शेयर किए, मोबाइल नम्बरों को एक्सचेंज किया और फिर जल्दी मिलने का वादा कर अलग हो गए।

"कुछ भी अधूरा रह जाये तो पूरा जरूर होता है चाहत में , वक्त जरूर लग सकता है और हां फीलिंग्स इंट्रोवर्ट में भी होती है जो सालती जरूर है बाद में।"

©अमित

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