रेखा जब वृत्त को चूमती है तब स्पर्श रेखा कहलाती है। जब और भीतर उतरती है वृत्त के ,तो ज्या कहलाती है और जब यही रेखा केंद्र से होकर गुजरती है तो व्यास बन वृत्त को दो हिस्सों में विभाजित कर देती है।
चुम्बन जब तक स्पर्शरत होता है दोनो का अस्तित्व बना रहता है। ज्यों ज्यों स्पर्श प्रगाढ़ होता जाता है , सीमा लांघते लांघते अन्ततः फिर वृत्त के दो हिस्से हो जाते है, एक जिसे चूमा गया हो और दूसरा जो इस चुम्बन से परे रह गया हो।
"स्पर्श रेखा अगर वृत्त का आलिंगन करते हुये वृत्त की परिधि सी ही हो जाये तो वह चुम्बन सर्वश्रेष्ठ होता है, इसमे दोनो का वजूद परस्पर विभाजित नही होता।"
#किस #डे
बहुत सुन्दर
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