किसी नगर में एक धनी सेठ रहता था । उसके पास धन दौलत की कोई कमी न थी । वह सेठ परिवार से भी सुखी एवं संतुष्ट था । तभी उस नगर में एक गणिका आकर रहने लगी । वह बहुत खूबसूरत थी । उसके सौन्दर्य की चर्चा चारों तरफ फैलते फैलते उस सेठ तक भी पहुंची । उसको देखने की लालसा में वह सेठ भी उस गणिका के पास जाने लगा । धीरे धीरे वह गणिका प्रसिद्द होते होते नगर वधू बन गई । उसका सामीप्य पाने की लोगों में होड़ लगने लगी ।
सेठ उसे मन ही मन बहुत चाहने लगा । धन की कोई कमी तो थी नहीं , सो दोनों हाथों से उस पर लुटाने लगा । नगरवधू भी उससे बहुत प्यार जताती थी । एक दिन सेठ अचानक बहुत बीमार हो गया । उसे नगर वधू की याद सता रही थी । किसी भी कीमत पर वह सेठ उस नगरवधू से मिलना चाह रहा था । उसने अपने मुनीम को बुलाया और उससे कहा कि जाकर नगर वधू को बुला लाओ । उसे मेरा नाम मत बताना ,बस इतना कहना कि जिसको तुम पूरे नगर में सबसे अधिक प्यार करती हो ,उसकी तबियत ख़राब है ,उसी ने बुलाया है ।
मुनीम सेठ का सन्देश लेकर नगर वधू के पास पहुंचा और उससे कहा कि , तुमको जो सबसे अधिक प्यार करता हो उसने तुम्हे याद किया है । इस पर वह नगर वधू ,नहीं समझ पाई । तब फिर मुनीम ने कहा कि अरे , जिसे पूरे नगर में तुम सबसे अधिक चाहती हो, उसका नाम लो, तब समझ आ जाएगा । इस पर उस नगर वधू ने तीन व्यक्तियों के नाम लिए परन्तु उन तीन नामों में उस सेठ का नाम नहीं था । इस पर मुनीम ने पुनः उससे वही बात दोहराई ,अरे वह व्यक्ति जो स्वयं भी तुमसे सबसे अधिक प्यार करता है , उसी ने तुम्हे बुलाया है । इस बार नगर वधू ने तेरह व्यक्तियों के नाम लिए । उन तेरह नामों में भी उस सेठ का नाम नहीं था । अपने सेठ का नाम न सुनकर मुनीम अपने सेठ के पास लौट आया ।
लौट कर उसने सेठ से कहा, आपका नाम न तीन में है , न तेरह में । आप बेकार उसके चक्कर में पड़ कर अपना परिवार , धन ,समय और संस्कार सब नष्ट कर रहे हैं । यह सुनकर और जानकार सेठ के ज्ञान चक्षु खुल गए और वह उस नगर वधू के मोह से निकल गया और पुनः अपने परिवार में आनन्द से रहने लगा ।
तभी से यह मुहावरा प्रचलित हो गया , " न तीन में न तेरह में " ।
अरे क्या सच्ची??? यूँ बना मुहावरा???
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया कहानी....
अनु
.....बाद में इस घटना के बारे में उन तमाम लोगों ने अनेक किस्से सुने-सुनाये जो न तीन में थे न तेरह में। :)
जवाब देंहटाएंआपकी सन (20)13 की पोस्ट पर यह तीसरा इन्द्राज.
जवाब देंहटाएंमजेदार ..
जवाब देंहटाएंइस तीन तेरह से निकलना ही अच्छा है...मुहावरा इस घटना की याद दिलाता रहेगा लोगों को।
जवाब देंहटाएंare waah... mazedaar
जवाब देंहटाएं:) बहुत सही रहा यह प्रचलन .... सेठ जैसे समझदार सुबह का भुला जैसा हों तो क्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक कहानी है... तीन तेरह नौ अठारह कैसे बनी ये भी बताइयेगा कभी :)
जवाब देंहटाएंआज इस कहावत के पीछे की कहानी मालूम हुई .
जवाब देंहटाएंरोचक रहा तीन तेरह के फेर को जानना
जवाब देंहटाएंhaha sundar:-)
जवाब देंहटाएंन तीन में न तेरह में.... रोचक कथा ....
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