बारिश
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बादल जब सागर का समर्पण संजोते संजोते थक जाते हैं और हवाएं भी साथ नही देती तो बारिश बन फना हो जाते हैं।
आँसू
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लम्हे जब घूंट घूंट तन्हाई पीते रहते हैं और यादें भी साथ नही देतीं तो आंसू बन घुल जाते हैं।
सैलाब
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जब बारिश और आंसू साथ साथ आ जाये तो सैलाब आता है।
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बादल जब सागर का समर्पण संजोते संजोते थक जाते हैं और हवाएं भी साथ नही देती तो बारिश बन फना हो जाते हैं।
आँसू
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लम्हे जब घूंट घूंट तन्हाई पीते रहते हैं और यादें भी साथ नही देतीं तो आंसू बन घुल जाते हैं।
सैलाब
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जब बारिश और आंसू साथ साथ आ जाये तो सैलाब आता है।
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