शनिवार, 17 मार्च 2018

झुकी निगाहें........"



डूबता सूरज
झुकी निगाहें
तासीर एक सी
बादलों की ओट
पलकों का आगोश
मद्धम सा उजाला
बिखरी सी किरणे
खुशबू सी नज़रें
खिंचती सी लकीर
ज़ुल्फें आड़ी तिरछी
जैसे
आसमान का कगार
डूबती रही शाम
लिए लाल से होंठ
जैसे लालिमा सूरज की।

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