एक चिराग रौशन ,
करते जैसे कई चिराग ,
खिलखिलाहट भी ,
उनकी यूँ ही कुछ ,
खिला सी देती है ,
खिला सी देती है ,
तबस्सुम सारे लबों पे ।
मीठी आवाज़ ,
पाक सी उनकी ,
जैसे हो अजान की ,
इल्म सा कराती ,
वक्त इबादत का |
निगाहें उनकी ,
तिलिस्म हो जैसे ,
देखती हैं कुछ यूँ ,
कह रही हों ,
जैसे कोई ग़ज़ल |
खूब सूरत दे खुदा ,
पर इतनी भी न दे ,
कि देखे वे आइना ,
जी भर के ,
और जी न भर पाएँ |
बहुत खूब, जब भी उतरती है तो गहरे उतरती है आपकी कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
क़यामत ही होगी बाखुदा ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएं:):) खूब सूरत दे खुदा ,
जवाब देंहटाएंपर इतनी भी न दे ,
कि देखे वे आइना ,
जी भर के ,
पर जी न भर पाएँ |
खूब सूरत दे खुदा ,
पर इतनी भी न दे ,
कि देखे वे आइना ,
और आईना शर्मा जाए .... बहुत प्यारी रचना
यह तो और भी खूब ...| आभार |
हटाएंमन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
जवाब देंहटाएंखूब सूरत दे खुदा ,
जवाब देंहटाएंपर इतनी भी न दे ,
कि देखे वे आइना ,
जी भर के ,
पर जी न भर पाएँ |
वाह....
इन खूबसूरतों को किसी की नजर ना लगे !
जवाब देंहटाएं:)))... वाह !
जवाब देंहटाएंक्या खूब ही सूरत होगी उनकी...
जो कलम के रास्ते इतनी निखर आई... :)
~सादर !!!
वाह जनाब, क्या लिखा है .. बेहद खूबसूरत .. और शब्द भी उतने ही अच्छे पिरोये हैं ..
जवाब देंहटाएंसादर
मधुरेश
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अहसास की लेखनी ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआहा....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ,प्यारी रचना..
:-)
bahut hi pyari ..us khoobsurat chehre ki tarah hi khoobsoorat hai aapki rachna :-)
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