आज अचानक बचपन मे मां से सुनी एवं आजमाई हुई निम्न लोक कहावत याद आ गई । जिसके अनुसार वह हर दिन अलग अलग , घर से निकलने से पहले कुछ खिला कर भेजती थी और कहती थी सब काम बन जायगा,सब आसान है,खास कर परीक्षा देने जाते समय:--
" रवि को पान,
सोम को दर्पण (देखना),
मंगल कीजे गुड अर्पण,
बुध को धनिया,
बीफ़े (बृहस्पतिवार) राई,
सूक (शुक्रवार) कहे मोहे दही सोहाई,
सनीचर कहे जो अदरक पाऊं,
तीनो लोक जीत घर आऊं। "
सचमुच इससे आत्मविश्वास बहुत बढ जाता था और सब काम आसानी से हो भी जाते थे। पता नही यह मां का विश्वास कहावत पर था या मेरा विश्वास मां पर ।
कल 20/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
मुझे भी याद आ गयी वो सारी बातें :)
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं!
बहुत अच्छी प्रस्तुति .... माँ पर विश्वास सबसे अच्छा लगा ॰
जवाब देंहटाएंसचमुच...विश्वास पर ही सफलता निर्भर करती है...
जवाब देंहटाएंसादर.