रविवार, 15 अगस्त 2010

एक प्रयास में "मैं" भी

         आज 15 अगस्त 2010 के दिन मुझे भी ब्लाग लिख्ने का शौक चर्रा गया,सो कोशिश आज कर रहा हूं,यह हिन्दी मे लिखने मे मात्रा उलट जाती है ,लगता है जैसे किसी ने उल्टी  मांग निकाल ली हो ,फिर उसे पहचानने मे वक्त लगता है। लोग इसे पढेंगे , हसेंगे, कमेन्ट मारेंगे, मेरा तो सोच सोच कर ही दिल 'ब्लाग ब्लाग' हो रहा है।ब्लाग लिखने मे यह फ़ायदा है कि  इसमें printers devil का भय नही है ,जो लिखो वही छपेगा। बस ! य़ह test proof  है,शुभ रात्रि ।

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