"पलकें जब झुकी , प्रेम तब भाषित हुआ,
नयन तब नम हुये , भाषित जब मौन हुआ।"
अर्थात आशय अथवा अभिप्राय उस स्थिति से है जब प्रेमिका लाजवश बार बार प्रेमी के पूछने पर प्रेम की प्रगाढ़ स्थिति में होने को स्वीकार करने को कुछ बोलने के स्थान पर बस पलकें झुका लेती है और यही प्रेम की भाषा है।
फिर कभी किसी अन्य अवसर पर प्रेमिका प्रेमी से उसके न मिलने के कारण प्रश्न करती है तब प्रेमी मौन रह कर ही अपनी असमर्थता जताता है जिससे प्रेमिका के नयन आर्द्र हो उठते हैं।
यह बस प्रेम और उलाहना का छोटा सा संवाद है।
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