शनिवार, 13 जुलाई 2013

..........भाभी चली गईं ........!!!!


दिनांक २९.०६.१३ ......दो दिन का मामूली बुखार ...अचानक कमजोरी और बेहोशी ...उसी बेहोशी में बुदबुदाए कुछ शब्द ......चार पांच घंटों के भीतर ही वेंटिलेटर की नौबत ......और उनके होश में आने की प्रतीक्षा करते करते १०.०७.१३ की शाम को डाक्टर का मेरे बड़े भाई ( जो स्वयं एक बड़े सर्जन हैं ) से कहना कि अब वेंटिलेटर का कोई लाभ नहीं ,आप तय कर लो कब इस सपोर्ट को हटा लिया जाए । सभी को काटो तो खून नहीं । परन्तु भाई सब समझ रहे थे और उन्होंने स्वयं कितनी बार ऐसी ही परिस्थिति में कितनो को इस तरह समझाया होगा ,फिर भी साहस नहीं जुटा पा रहे थे कि बच्चों के सामने कैसे इस बात को बताएं । उन्होंने स्वयं को संभालते हुए हम सबके सामने बच्चों से बताया तो बच्चों ने बड़े भोलेपन से कहा "पापा ,एक रात और रुक जाइये ,शायद कोई चमत्कार हो जाए । ये वही दोनों बच्चे थे जो पिछले बारह दिनों से रोज़ मंदिर और मज़ार पर मन्नत और दुआ करने जाते थे । मन पर काबू और आँखों में आंसू भरे भरे भाई ने डाक्टर से अगले दिन सुबह ६ बजे तक वेंटिलेटर पर रखे रहने का अनुरोध किया । हम सब रोते रोते रात भर बस दुआ करते रहे शायद इन मासूम से बच्चों पर ईश्वर को रहम आ जाए पर ऐसा कुछ न हुआ और ११ की सुबह ६.२९ पर भाभी हमेशा के लिए हम सब को छोड़ कर तारों के पार चली गईं । 

भाई मुझसे उम्र में डेढ़ वर्ष बड़े और पढ़ाई में एक वर्ष आगे थे । जाहिर है वह मेरे बड़े भाई कम दोस्त अधिक रहे और अब भी हैं । भाभी मुझसे दो वर्ष छोटी थी परन्तु व्यवहार सदैव मुझे बहुत ही छोटा मान कर किया । भाई के विवाह के लिए पापा ,मम्मी के साथ मै और मेरा छोटा भाई उन्हें पसंद करने गए थे । मेरे बड़े भाई स्वयं उन्हें देखने के लिए राज़ी न हुए थे । शायद इसी को तब संस्कार कहते रहे होंगे । मैं तो उन्हें देखने के लिए उतावला और बावला हुआ जा रहा था । जब पहली बार उन्हें देखा तो उनके चेहरे पर झुंझलाहट सी थी पर जब मैंने बातें शुरू करी थी तो बस मुस्कुराते हुए और थोड़ा शर्माते हुए  मुझे घूर कर देखा था और मैं उन्हें अपनी नज़रों में भर लेना चाहता था क्योंकि वापस आ कर भाई को पूरा वर्णन जो सुनाना था । लौटते समय मैंने पापा ,मम्मी से कहा था ,ऐसा लगता है जैसे वहां कुछ छूटा सा रह जा रहा है । उतनी ही देर में मै उन्हें मिस जो करने लग गया था । 

११ मार्च १९८६ को भाई का विवाह भाभी के संग हुआ । उनकी ससुराल में मेरा भरपूर जलवा था । मैं अपनी भाभी का दुलारा देवर जो था । हम तीन भाइयों के कोई बहन न होने से हमारे घर में भाभी के आने के बाद ही हम लोगों ने जाना कि माँ के अलावा भी कोई और सम्बन्ध क्या और कैसे होता है । आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत प्रतिष्ठित परिवार से होने के बावजूद भी भाभी ने हमारे अत्यंत सरल से परिवार में स्वयं को ढाल लिया था और कभी भी अपनी कोई भी तकलीफ किसी को महसूस होने नहीं दिया था । बहुत दिनों तक उन्होंने मेरे साथ मेरी ही थाली में खाना खाया । मुझे उनसे इतना महत्व मिलता था ,मै तो इतराता घूमता था । मम्मी कभी कभार भाभी को कुछ कहती भी थीं तो मै उनके लिए मम्मी से लड़ भी जाया करता था । कुल मिला कर भाभी के आने के बाद हमारे घर में रौनक सी आ गई थी । 

उनके विवाह के पश्चात दो वर्षों बाद मेरा भी विवाह हुआ और मेरी पत्नी 'निवेदिता' को पसंद करने भी वही गई थीं । इस बार निवेदिता को देखने मै नहीं गया था । मुझे अपनी भाभी की पसंद पर पूरा भरोसा था और परिणाम स्वरूप निवेदिता मेरी अर्धांगनी बनी । 

धीरे धीरे सबके परिवार बढ़ते गए । परिवार बढ़ने के साथ सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारिया और उन्हें निभाने के सबके अपने तौर तरीके अलग अलग होते गए । कुछ पसंद परिवर्तित हो कर नापसंद भी बनती गईं परन्तु मन के भीतर स्नेह और दुलार और सम्मान कभी कम न हुआ । 

इतनी कम आयु में उनका चला जाना ..कुछ समझ नहीं आया । बच्चों के भगवान् और बड़ों के भगवान् अलग अलग होने चाहिए । बड़ों के भगवान् शायद बच्चों की प्रार्थना नहीं सुनते ,नहीं तो ऐसा कभी भी नहीं होता ।ईश्वर अगर कहीं है तो बस उससे यही विनती है कि उनकी बेटी (अनुप्रिया) , बेटे (अभिनव) और मेरे बड़े भाई को अब जीवन में कभी कोई दुःख न पहुंचे और वे सब अपने जीवन में इतनी बड़ी रिक्तता के बावजूद आकाश सी ऊंचाइयों को छुयें और मेरी भाभी जहां कहीं भी हो ...उनकी आत्मा को परम शान्ति और मोक्ष प्राप्त हो । आज दिनांक १३.०७.१३ को इसी उद्देश्य से भाई के घर पर शान्ति हवन का आयोजन निर्धारित है । 

उन्हें बीमारी जो diagnose हुई  "acute demyelinating encephalomyelopathy" (ADEM)....पता नहीं इसका इलाज अभी तक क्यों नहीं ढूँढ़ पाए चिकत्सा जगत के लोग !!!   


                                                                      (अभिनव , अनुप्रिया ..भाभी और भाई) 

27 टिप्‍पणियां:

  1. विनम्र श्रद्धांजलि, ईश्वर उन्हे अपनी शरण में ले तथा परिजनों को दारुण दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करे।

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  2. इश्वर इस दुःख की घडी में आप सबको संबल प्रदान करे और पुण्यात्मा को परम शांति .

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  3. हे ईश्वर, दुखद क्षण, आप सबको सहने की शक्ति मिले, श्रद्धांजलि..

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  4. life is not always fair.....
    My heartfelt condolences......... may god give you all some strength to bear this pain.
    :-(

    regards!
    anu

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  5. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और आप सब परिवारिजनों को इस असीम दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।

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  6. विनम्र श्रद्धांजलि, ईश्वर आप सब परिवारिजनों को इस असीम दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।

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  7. भाभीजी के बारे में सुनकर दुःख हुआ। ईश्वर इस कठिन घड़ी में इस असीम दुःख को सहने की शक्ति परिवारजनों को प्रदान करे। ईश्वर ने प्रिय इंसान को अपने पास बहुत ज़ल्दी ही बुला लिया। ईश्वर भाभीजी के पुण्य आत्मा को चिर शांति प्रदान करने की कृपा करें।

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  8. बहुत दुखद. कम उम्र में इस प्रकार जाना बहुत ही खलता है. आपके भाई, उनके बच्चों व सारे परिवार के साथ संवेदना.
    घुघूती बासूती.

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  9. दुखद समाचार .... ईश्वर आपकी भाभी की आत्मा को शांति प्रदान करे और आपके परिवार को दुख सहने की क्षमता ..... विनम्र श्रद्धांजलि

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  10. विनम्र श्रध्दा सुमन...ईश्वर इस दुःख को सहन करने की शक्ति आप सब को दें !

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  11. बहुत दुख हुआ यह जानकर।
    भाभी जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
    घर के लोग इस कठिन मौके पर हौसला बनाये रख सकें।

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  12. इस दुख की घड़ी में आपके समस्त परिवार के साथ संवेदना व्यक्त करता हूँ, ईश्वर आप सबको धैर्य व शक्ति प्रदान करें।

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  13. RIP to bhabhi ji .. dukh to bahut hota hai kisi apne ko khone ka ..par sambhlna to padta hai ..

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  14. Very sad moment..May God bless the soul to rest in peace..Death reminds us that we have to live life with LOVE and affection with each other. We need to make peace with ourselves..

    May God help the family to bear the invaluable loss..!
    Om Shanti!

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  15. ऐसे ही हादसे में मैं भी अभी अभी गुज़री हूँ ............२२.६.२०१३ को मैंने भी अपने पिता समान जेठ जी को खो दिया ..वो भी बहुत बडी उम्र के नहीं थे मात्र ५६ साल की आयु में वो हम सब को छोड़ कर चले गए


    ईश्वर जाने वालो की आत्मा को शांति प्रदान करें :(((

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  16. ओह ... बेहद दुखद खबर. आज देख पाई यह पोस्ट. न जाने कैसे मिस हुई.
    सच ही है हम कुछ भी कर लें कुछ बातों पर बस नहीं चलता.
    अपना और अपने परिवार का ख्याल रखियेगा :(

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  17. पिछले कुछ दिन हम सबके एक से गुजरे.... कम उम्र मे अपनो का साथ खोने का दर्द वही जान सकता है जिसका अपना खो जाता है ...
    आपके दुख को कम तो नहीं कर सकती पर ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि परिवार को सम्बल दे ...

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  18. भगवान उन सभी को सन्ति दे ॥अंतिम दुख भरी दस्ता को छोर कर बाकी की कहानी मेरी अपनी ही जान परती है .....इस दुख को अछि तरह महसूस का सकते है .....

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  19. अक्सर ऐसा होता है जिन रिश्तों से हम ज्यादा जुड़े होते हैं । उन्हें जल्दी खो देते हैं ।एक ऐसी कमी होती है जिसकी भरपाई कोई और रिश्ता नहीं कर पाता ।

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