मनुष्य और अन्य प्राणियों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि केवल मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो हँस सकता है | अब वो चाहे अपने ऊपर हँसे अथवा दूसरों पर हँसे | जब मनुष्य अपने ऊपर हँसता है तो आत्मस्थ ,जब दूसरों पर हँसे तो परस्थ हास्य कहलाता है |
हँसी के छः प्रकार होते हैं : 'स्मित','हसित','विहसित','उपहसित','अपहसित' और 'अतिहसित' | 'स्मित' में कपोल ज़रा मुस्कराते प्रतीत होते हैं,दांत नहीं दिखाई पड़ते | 'हसित' में दांत ज़रा दिखाई पड़ते हैं | 'विहसित' में आँखें सिकुड़ जाती हैं ,ज़रा आवाज़ भी होती है ,मुँह लाल भी हो जाता है | 'उपहसित' में कंधे भी सिकुड़ जाते हैं ,सर हिलता है | 'अपहसित' में बेमौके की हँसी होती है , आँखों में पानी आ जाता है | 'अतिहसित' में आँखों से पानी बहता है, आवाज़ अधिक होती है , हाथ से बगल को दबा लिया जाता है |
उपरोक्त व्याख्या इतनी सूक्ष्मता से भरत मुनि ने हज़ारों वर्ष पहले अपने ग्रन्थ में दी है |
निम्न चित्र में पायी गई हँसी ऊपर वर्णित हँसी से सर्वथा भिन्न है | इसमें लोग बुक्का फाड़ कर , फूट फूट कर और लोट लोट कर हँस रहे हैं :-
मैं ,पिछली पोस्ट की मेहमान और निवेदिता
:):) ज़बरदस्त ...
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंमिट्ठी करने को जी कर रहा है ......
अनु
अनु !! कर लो प्लीज कान पकडती हूँ :)
हटाएं:-) अरे कर ली...............एक दिल भी भेजा है मेल से :-)
हटाएंज्ञान प्राप्ति हुई . आभार . एक बात और शोले में गब्बर सिंह कौन सी हसी हँसता था?
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंमोहब्बत यह मोहब्बत - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
हटाएंAchchi Jankari mili :)
जवाब देंहटाएंये हंसी का पटाखा किस बात पर दगा इसकी सूचना खुद ही दे दी जाये नहीं तो सूचना के अधिकार के जुगाड़ के दरवाजे खटखटाने पड़ेंगे। :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही तगड़ा परिहास हुआ है, उन्मुक्त...
जवाब देंहटाएंbhai, ye likha jaay ki context kya tha.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी..
जवाब देंहटाएंहँसते रहिये...
:-) :-)
:):)...क्या दिन था वो भी..पर आपने इस हंसी के आफ्टर इफ्फेक्ट्स नहीं लिखे :)
जवाब देंहटाएंअर्ज किया है.
अपनी आँख के आंसू
हमारी आँख में पिरोने की
बेशक आदत हो किसी की,
हमें तो भीगी पलकों से भी
हंसी बिखराने का शगल है :):)
शगल यूँ ही बरक़रार रहे |
हटाएं'उस' बात पर ठहाके तो लगने ही थे :-)
जवाब देंहटाएंराज़ को राज़ रहने दें |
हटाएंThe post is very informative. It is a pleasure reading it. I have also bookmarked you for checking out new posts.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी. अब हर बार हँसते समय ध्यान आएगा की अपनी हँसी कौन सी वाली है!
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
उन्मुक्त हँसी .....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी मिली ... हँसी की विभिन्नता के बारे में । आप सब हमेशा ऐसे ही मस्ती भरी हँसी हँसते रहें ।