मंगलवार, 6 मार्च 2012

" आलिंगन ज़िन्दगी का......"



समय ठहरा सा था,
पंछी भी अवाक थे,
रौशनी और चमकी थी,
हवा भी सकुचाई थी,
तितलियाँ शरमाई थी,
साँसों ने साँसों से कहा था कुछ,
पर पलकें चार न हो पाई थीं,
मन तरंगित हुआ था,
और अब भी सिहर उठता  है,
याद करता है जब,
गले मिली थी,
उस रोज़,
तुम ।
.
.
कि,
था,
आलिंगन,
ज़िन्दगी का,
शायद ।


23 टिप्‍पणियां:

  1. वही था आलिंगन ज़िन्दगी का...
    खूबसूरत अहसास...

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  2. वाह!!!!
    बहुत खूबसूरत एहसास....
    होता है कोई प्यारा....जिंदगी की तरह...

    सादर.

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  3. कितनी प्यारी बात कह दी चंद लफ़्ज़ों में....

    मिली थी जिंदगी गले मुझसे....
    तेरे बहाने से.....

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  4. बहुत ही बढ़िया सर!

    आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

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  5. बहुत हि सुकोमल भावो कि अभिव्यक्ती हैं...
    होली पर्व कि ढेर सारी शुभ कामनाएँ ....

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  6. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
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    ♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
    ♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥



    आपको सपरिवार
    होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
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  7. मनमोहक रचना..होली की शुभकामनायें !

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  8. कोमल अनुभूतियों का मनोरम चित्रण !
    होली की शुभ-कामनाएँ .

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  9. एहसास को शब्दों में इस कदर उतर दिया है व्यक्त करना मुस्किल है ; पर हां उस २ पल के सफ़र में एक पूरी जिंदगी का एहसास था शायद !! कुछ भावनाएं व्यक्त करना मुस्किल होता है ; फिर भी आपने जैसे कुछ पलों को निकल कर रख दिया है ..ब्लॉग के इस पन्ने पर !! बहुत कुछ सीखने को मिला इन कुछ पंग्तियों में कही बड़ी बात से !!!

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  10. समय ठहरा सा था,
    पंछी भी अवाक थे,
    रौशनी और चमकी थी,
    हवा भी सकुचाई थी,
    तितलियाँ शरमाई थी,...............behad sunder abhivyakti . badhai .

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  11. यही था आलिंगन जिंदगी का.....
    बहुत सुन्दर.......

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  12. क्या जलवेदार बात कही है ! लेकिन इसमें "जिन्दगीजी" ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। :)

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  13. बहुत ही सुन्दर में आपके ब्लॉग पे पहली बार आया हु
    लेकिन आगे आता रहूँगा
    मेरे ब्लॉग पे भी आप आएंगे तो हमें अच्छा लगेगा
    http://vangaydinesh.blogspot.in/

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