इलाहाबाद में निरंजन चौराहे पर एक ट्रैफिक कांस्टेबल हुआ करता था। उसकी खासियत यह थी कि वो चौराहे पर एक साथ सारी तरफ के ट्रैफिक को रोक देता था फिर थोड़ी देर बाद एक साथ सबको छोड़ देता था।
फिर हैरान परेशान हो कर सबको संभालता था। यह हमने स्वयं कई बार नोटिस किया था।
अनुलोम विलोम करते समय हमसे भी यही होता है। दोनो ही नाक से एक साथ सांस भीतर जाती है और दोनो से ही एक साथ बाहर आती है। क्रम वार नही हो पाता।
सड़कें भी अगर अनुलोम विलोम करती हैं तो ट्रैफिक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और फिर ट्रैफिक को किसी बायपास की जरूरत नही होती।
😊
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसही है
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