"शब्द भीतर रहते हैं तो सालते रहते हैं, मुक्त होते हैं तो साहित्य बनते हैं"। मन की बाते लिखना पुराना स्वेटर उधेड़ना जैसा है,उधेड़ना तो अच्छा भी लगता है और आसान भी, पर उधेड़े हुए मन को दुबारा बुनना बहुत मुश्किल शायद...।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सैम मानेकशॉ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है।कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
सुन्दर।
बहुत सुन्दर....
सुंदर मनकही...
समय बीतता जाता हैऔर जीवन जिए बिना ही..
बढ़िया रचना
परम विश्राम के पल !
सुंदर एहसास ...!!
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सैम मानेकशॉ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है।कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंसुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंसुंदर मनकही...
जवाब देंहटाएंसमय बीतता जाता हैऔर जीवन जिए बिना ही..
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंपरम विश्राम के पल !
जवाब देंहटाएंसुंदर एहसास ...!!
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